बकरी पालन : कम लागत में अधिक आय का स्त्रोत
कुशीनगर के सरगटिया के कृषि विज्ञान केंद्र में साढ़े तीन वर्षों में बकरी पालन हो रहा है यहां नौ बकरी से शुरू हुआ था अब बकरियों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है अब तक 240 किग्रा बकरे तैयार हो गए हैं।
कुशीनगर : साढ़े तीन वर्ष पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया करनपट्टी में स्थापित बकरी फार्म कम लागत में अधिक आय का उदाहरण बना है। वर्ष 2018 में नौ बकरियों से शुरू हुए इस फार्म में अब बकरियों की संख्या 28 हो गई है। पिछले वर्ष एक क्विंटल वजन के बकरों की बिक्री की गई। मौजूदा समय में 1.40 क्विंटल वजन के बकरे हैं।
चारे के लिए यहां प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त हैं। एक बकरी के लिए 15 वर्ग फीट जगह पर्याप्त है। दस बकरियों के लिए 150 वर्ग फीट का कमरा होना चाहिए। कमरे की ऊपरी दीवार पर लोहे के तार अथवा जाली लगी होनी चाहिए, जिससे गर्मी के मौसम में हवा का आवागमन बना रहे। वहीं जाड़े के मौसम में खुली जगहों पर जूट के बोरे अथवा टाटपट्टी से बंद कर देते हैं। इससे बकरियों को ठंड से राहत मिलती है।
केंद्र प्रभारी डा. अशोक राय कहते हैं कि केंद्र परिसर में आम और लीची के बागीचे में बेकार पड़ी जमीन पर उगाई गई बरसीम और घास इनके चारे के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसके अलावा बाजार की कोई सामग्री नहीं दी जाती। बकरियों की देखभाल कमरे से बाहर निकालने व साफ-सफाई के लिए एक व्यक्ति रखा गया है।
बकरी फार्म के इंचार्ज डा. योगेश कुमार यादव ने बताया कि बकरियों को बीमारी से बचाने के लिए समय-समय पर टीके लगवाएं जाते हैं। निमोनिया, अफरा, कैलशियम की कमी से रिकेट्स जैसी बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक से दो बार पीपीआर का टीका लगाया जाता है। पेट में कीड़े अथवा अंत : परजीवी नाशक आईवर मैक्टिन का इंजेक्शन लगवाया जाता है।