पराली को लेकर किसान परेशान, तलाश रहे विकल्प
पराली जलाने को लेकर किसान दुविधा में हैं। जुर्माना व मुकदमा का भय किसानों की नींद उड़ा रहा है। यह भी चिता खाये जा रही कि उनकी खेत से पराली साफ नही किया जाएगा तो अगली फसल की बोआई कैसे होगी। किसानों के सामने कोई विकल्प नही है।
कुशीनगर : पराली जलाने को लेकर किसान दुविधा में हैं। जुर्माना व मुकदमा का भय किसानों की नींद उड़ा रहा है। यह भी चिता खाये जा रही कि उनकी खेत से पराली साफ नही किया जाएगा तो अगली फसल की बोआई कैसे होगी। किसानों के सामने कोई विकल्प नही है।
मजदूरों की कमी के चलते किसान धान की कटाई कंबाइन में रीपर लगाकर कर कराए हैं। पुआल (पराली) खेतों में पड़ा हुआ है। पहले पराली को जला दिया जाता था, लेकिन जलाने से प्रदूषित हो रहे पर्यावरण के ²ष्टिगत गंभीर प्रशासन जनपद में पराली जलाने पर मुकदमा व जुर्माना लगा रहा है। प्रशासनिक सख्ती से किसान अपने खेतों की पराली नही जला रहे हैं। धान का डंठल खेतों से निकलवाने में हजारों रुपये की मजदूरी तथा ढुलाई का खर्च किसानों की नींद उड़ा रहा है। यहीं नहीं खेतों से निकाले गए पुआल को रखवाने की नई समस्या सामने आयी है। अधिकांश खलिहान अतिक्रमण के शिकार है। प्रशासन ने पराली से उत्पन्न समस्या के स्थाई समाधान की कोई व्यवस्था भी नही दी है। अगर किसान खेतो में पराली छोड़ दे तो रबी की बुआई नही हो पाएगी। हाकिम राव, अलीउल्लाह, कन्हैया पांडेय, अशोक गुप्ता, योगेश तिवारी, सुरेंद्र तिवारी आदि ने पराली के निस्तारण का सार्थक व त्वरित समाधान की मांग की है।