कुशीनगर में जलभराव के चलते फिर डूबेगी हजारों किसानों की पूंजी
कुशीनगर के किसानों के लिए कौआसार ड्रेन बना अभिशाप बर्बाद हो रही फसल मछली का शिकार करने के लिए लोगों ने जगह-जगह बना दिया है बांध जलनिकासी बाधित होने से खेतों में होगा जलभराव बढ़ी चिता।
कुशीनगर: पिछले साल खेतों में जलभराव की वजह से हजारों किसानों की पूंजी डूब गई थी, इसके बाद भी जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। न ड्रेन की सफाई कराई गई और न ही मछली का शिकार करने के लिए ड्रेन में बांध बनाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। इस साल भी कौआसार ड्रेन में मछली मारने के लिए जगह-जगह बांध लगा दिए गए हैं। इससे खेतों से बारिश का पानी निकल नहीं पाएगा। गन्ना व धान की फसल बर्बाद हो जाएगी।
नेबुआ नौरंगिया ब्लाक के कौआसार ताल से निकली 25 किमी लंबी इस ड्रेन से लगभग 10 हजार किसान प्रभावित होते हैं। कौआसार, पकड़ियार, सौरहां, सिगहा, चकचितामणि, कठिनइया, मठियाधीर, बभनौली, रोआरी, भुइसोहरा, बिहुली निस्फी, नौगांवा, माघी मठिया, परगन मठिया, मेहदीगंज, सौनहां, सनेरा मल्लछपरा, अडरौना, पथरदेवा आदि गांवों के सरेह से होते हुए ड्रेन कसया ब्लाक के सेमराधूसी गांव के समीप बांड़ी नदी में मिल जाती है। सभी गांवों के लो-लैंड का बारिश का पानी ड्रेन के माध्यम से निकालने की व्यवस्था है। अगर पिछली बर्बादी से सबक लिया गया होता तो मछली मारने के लिए बांध लगाने वाले लोगों पर अंकुश भी लग जाता।
कई वर्ष नहीं हुई ड्रेन की सफाई
क्षेत्र के किसान देवेश कुमार मिश्र, प्रभाष चंद्र मिश्र, मृत्युंजय गोविद राव, डा. पारसनाथ राय, राधेश्याम मल्ल, रामअधार मल्ल, संतोष राय, भरत यादव आदि ने कहा कि कई वर्षों से कौआसार ड्रेन की ठीक से सफाई नहीं हुई है। कुछ गांवों के समीप मनरेगा योजना के तहत सफाई के नामपर खानापूर्ति होती है। सबसे अधिक दिक्कत ड्रेन में मछली मारने के लिए जगह-जगह बांध बनाए जाने से होती है। इससे पानी का बहाव रुक जाता है और खेतों में जलभराव हो जाता है। पिछले साल खेतों में जलभराव से करीब 10 हजार एकड़ धान व गन्ने की फसल बर्बाद हो गई थीं।
एसडीएम देश दीपक सिंह ने कहा कि ड्रेन में बांध बनाकर पानी का बहाव रोकना अपराध की श्रेणी में आता है। राजस्वकर्मियों से स्थलीय निरीक्षण कराकर बांध बनाने वालों को चिह्नित कराया जाएगा। अगर बांध बनाया गया है तो उसे तोड़वाया जाएगा, दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।