फसलों की लागत बढ़ने से किसान परेशान
किसानों को झेलनी पड़ रही प्रकृति व महंगाई की मार लाभकारी मूल्य दिलाने का शासन का दावा विफल
कुशीनगर: फसलों की लागत बढ़ने से किसान परेशान हैं। प्रकृति व महंगाई की मार झेल रहे किसानों को शासन की नीतियां भी दिक्कत में डाल रही है। किसानों की आय दोगुना करने व फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने का शासन का दावा फेल नजर आ रहा। बीते दो वर्षों से गन्ना मूल्य में एक रुपये की बढ़ोत्तरी नहीं हुई, जबकि खाद-बीज व कीटनाशक की कीमत डेढ़ गुना बढ़ गई है।
जिले के कई चीनी मिलों पर अभी भी बीते वर्ष का गन्ना मूल्य बकाया चल रहा है। सूरजनगर, ढोरही, खजुरिया, जगदीशपुर, मिठहां, जड़हां, बेलवा, लीलाधर छपरा, पुरंदर छपरा, सरपतही, धर्मपुर, बहेरा, पिपरा आदि गांवों के किसान मुन्नीलाल कुशवाहा, भगवती पांडेय, हरिलाल प्रजापति, बेचू विश्वकर्मा, हरीश सिंह, भोली शर्मा, हरिनारायण मिश्र, जनार्दन यादव, रामनाथ यादव, मुरारी मिश्र, श्रीकांत सिंह, शैलेश तिवारी, रामायन कुशवाहा आदि ने कहा कि इस वर्ष खरीफ फसल के समय कम बारिश होने से खेतों में नमी की कमी हो गई।
रबी की फसलों की बोआई के पूर्व खेतों की जोताई के लिए सिचाई करनी पड़ी थी, इससे लागत बढ़ी। बीज, खाद, कीटनाशक दवाओं की कीमत हर साल बढ़ती जा रही है। कृषि की लागत बढ़ने से किसान भविष्य को लेकर चितित हैं। अगर प्रकृति ने साथ नहीं दिया तो हाथ खाली हो सकता है। शासन की नई गन्ना नीति से पर्ची की दिक्कत खड़ी हुई है। समय से पर्ची न मिलने से गन्ना गिराकर गेहूं नहीं बोया जा सका है।