सभी करें पहल तो बने बात
पौधारोपण के जरिये पर्यावरण बचाने के लिए आना होगा आगेपौधारोपण के साथ रख-रखाव का संकल्प।
कुशीनगर : वट सावित्री का व्रत आज अर्थात गुरुवार को है। इस दिन सुहागिनें बरगद के वृक्ष की पूजा करके सुख समृद्धि की कामना करेंगी व साथ ही बरगद का पौधा लगा उनके रखरखाव का भी संकल्प लेंगी। चाहे ग्रामीण हो अथवा नगरीय क्षेत्र बरगद न के बराबर बचे हैं। इसके चलते सुहागिनों को कटी हुई डाल मंगा कर पूजा करके परंपरा का निर्वहन करना पड़ता है। इस बार मानसून सत्र में महिलाओं ने बरगद के पौधे लगाकर उसकी देखभाल करने का संकल्प लिया तो यह संदेश भी दिया कि सभी करें पहल तो बने बात। इसके लिए आमजन से पौधारोपण के लिए आह्वान किया गया। प्रस्तुत है महिलाओं से बातचीत का अंश-
बोली महिलाएं
गृहणी गौरी चिरानियां कहती हैं कि वट वृक्ष पूजन के मौके पर बरगद का पौधा लगा उसकी देखभाल करूंगी। पौधे लगाना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उसका रखरखाव मायने रखता है। गृहणी सुनीता जायसवाल का कहना है कि बरगद के पेड़ का पूजन में विशेष महत्व होता है। इस बार पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण किया जाएगा। कंचन गुप्ता कहना है कि बरगद के पौधे रोपित कर उसकी देखभाल होगा, ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके। पूनम अग्रवाल कहती है कि इस त्योहर पर खासकर महिलाओं को संकल्प लेने की जरूरत है, कि वह कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं।
त्योहार में बरगद का महत्व
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कंडेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते पर पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे। तभी से वट वृक्ष की पूजा होती है। वट सावित्री व्रत करने से पति के दीर्घायु एवं परिवार में सुख शांति आती है। वट सावित्री व्रत में वट और सावित्री दोनों का खास महत्व माना जाता है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व हे। पुराणों की मानें तो वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इस व्रत में बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर सुहागिनें रक्षा सूत्र बांध कर पति की लंबी आयु की कामना करती है।