उद्योगों पर लगा आíथक मंदी का पहरा, संकट में उद्यमी
लॉकडाउन में प्रभावित व्यवसाय अनलाक में भी पटरी पर नहीं आ सका है। बाजार में मांग न बढ़ने से उत्पादित सामान गोदामों में डंप पड़े हैं। सूक्ष्म लघु व मध्यम वर्ग की उद्यमियों की पूंजी फंस गई है। उत्पादन पर कोरोना संक्रमण का पहरा लग गया है। नया उत्पादन ठप है। जिले में संचालित उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। उत्पादन व बिक्री का क्रम टूट गया है।
कुशीनगर: लॉकडाउन में प्रभावित व्यवसाय अनलाक में भी पटरी पर नहीं आ सका है। बाजार में मांग न बढ़ने से उत्पादित सामान गोदामों में डंप पड़े हैं। सूक्ष्म, लघु व मध्यम वर्ग की उद्यमियों की पूंजी फंस गई है। उत्पादन पर कोरोना संक्रमण का पहरा लग गया है। नया उत्पादन ठप है। जिले में संचालित उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। उत्पादन व बिक्री का क्रम टूट गया है। उद्यमी व कारोबारी हताश व चितित हैं।
कोरोना कहर बनकर उत्पादन पर ऐसे टूटा है कि उद्यमियों को कुछ भी नहीं सूझ रहा है। उद्योग पर छाए संकट के बादल छंट नहीं रहे हैं। उपायुक्त, उद्योग, अभय कुमार सुमन कहते हैं उद्योगों पर कोरोना संक्रमण का बुरा प्रभाव पड़ा है। उद्यमी परेशान हैं। शासन से मिल रहे निर्देशों के क्रम में उद्योग और उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऋण देकर उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उद्योगों को गति दी जा रही है।
पूंजी में मूवमेंट नहीं, बढ़ रही चिता
पुस्तक, कॉपी, रजिस्टर के निर्माता सच्चिदानंद मल्ल कहते हैं स्कूल, कालेज बंद होने से पहले से उत्पादित माल गोदाम में डंप पड़े हैं। इसकी खपत न होने से पूंजी फंसी हुई है। पूंजी में मूवमेंट रहता तो नया काम शुरू होता।
टूट गया उत्पादन व बिक्री का चक्र
उद्यमी व औद्योगिक विकास संगठन के अध्यक्ष राम आशीष जायसवाल कहते हैं सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग पर ग्रहण लगा है। सरकार इन्हें चलाने, गति देने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन उत्पादों की खपत का चक्र टूट सा गया है।
डंप हो गया है उत्पादित माल
उद्यमी वसीम अहमद कहते हैं शादी विवाह का सीजन शुरू हुआ तो लॉकडाउन लागू हो गया। शादियां स्थगित हो गई। आलमारी, बाक्स, रैक, सिगारदान, सोफा, कुर्सी, मेज की खपत नहीं होने से लाखों के माल गोदाम में धूल फांक रहे हैं।
बाजार गति से आएगा बदलाव
उद्यमी रवि प्रकाश यादव कहते हैं उत्पादन में गति तभी आती है जब उत्पादित वस्तु की खपत बाजार में होती है। उपभोक्ताओं के आमदनी के स्त्रोत घट गए हैं। जेब हल्की हुई हैं। कहा कि दुकान खुलने के बाद भी बाजारों में रौनक नहीं है।