अब गांवों में नहीं होती गश्त, शहर में ही बजता सायरन
गांवों में गश्त अब बीते दिनों की बात हो गई। एक दौर था जब पुलिसकर्मी रात में गांव में गश्त पर जाते थे और लोगों में सुरक्षा का भाव रहता था। मकसद था गांव-जवार में होने वाली अपराध की घटनाओं को रोकना।
कुशीनगर: गांवों में गश्त अब बीते दिनों की बात हो गई। एक दौर था जब पुलिसकर्मी रात में गांव में गश्त पर जाते थे और लोगों में सुरक्षा का भाव रहता था। मकसद था गांव-जवार में होने वाली अपराध की घटनाओं को रोकना।
शहर कस्बों से दूर बसे इन गांवों में सुरक्षा की दरकार को देखते हुए गश्त तब पुलिस कर्मियों की सबसे जरूरी ड्यूटी मानी जाती थी पर अब ऐसा नहीं होता। पुलिस गांवों में अब सूचना पर ही पहुंचती है।
थाना व गांव के बीच पुलिस के इस आमदरफ्त को लेकर लोगों में एक अलग माहौल होता था। सामान्य अपराधी घटनाओं को अंजाम देने से भय खाते थे। यही नहीं गांव पहुंचे पुलिसकर्मी छोटे-छोटे विवाद भी सुलह समझौते के आधार पर आसानी से हल करा देते। इससे गांव में अमन-चैन बना रहता था। आमजन भी अपने बीच पुलिसर्किमयों को देख थाने जाने से परहेज करते और आस-पड़ोस में होने वाले विवाद की शिकायत को लेकर शाम होने का इंतजार करते। उन्हें इस बात का पूरा यकीन रहता कि हल्का के सिपाही गश्त पर जरुर आएंगे। गांवों में रात्रि गश्त के फायदे भी नजर आते थे। पुलिस को चौकीदार तथा मुखबिरों के जरिए गांव तथा आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली हर संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिल जाती। जिससे आपराधिक घटनाओं पर पुलिस का प्रभावी अंकुश भी रहता था। 91 साल के मधूसुदन मणि त्रिपाठी बताते हैं कि तीन दशक पूर्व नगर में मकान बनवाकर यहां आ गया। उससे पहले का जीवन गांव में ही बीता। हल्का सिपाही नियमित रुप से गश्त पर आते थे। हल्का दरोगा व थानेदार इसे तस्दीक भी करते। कहते हैं कि पुलिसकर्मी अपने पास एक चार्ट रखते, और उसी अनुसार एक-एक कर गांवों में पहुंचते। पुलिस के रात्रि गश्त से आमजन में सुरक्षा का भाव बना रहता।
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अब भी होता है गश्त पर सिर्फ कागजों
-अपराध रोकने को लेकर पुलिस की ड्यूटी आज भी गांवों में लगती है। पुलिसकर्मी अब भी नियमित रुप से गश्त पर जाते हैं, थाने के रजिस्टर में तो बकायदा कागजी कोरम भी पूरा किया जाता। इनकी रवानगी व आमद भी दर्ज होती है। पर सिर्फ कागजों में।
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-सिपाहियों को अपने-अपने क्षेत्र में रात्रि गश्त करने का निर्देश दिया गया है, इसकी नियमित मानिटरिग होती है। गांवों में गश्त और बढ़ाई जाएगी। इसे लेकर मातहतों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे।
-विनोद कुमार मिश्र, एसपी