हिरण्यवती नदी के दो किमी पाथ-वे की हुई सफाई
कुशीनगर के डीएम ने फावड़ा चलाकर शुरू किया विशेष अभियानअधिकारियों व सफाई कर्मचारियों ने भी किया श्रमदान इस क्षेत्र की सफाई होने से पर्यटकों को यहां की यात्रा करने में सुविधा हो जाएगी।
कुशीनगर: डीएम एस राजलिगम के निर्देश पर जनपद में चलाए जा रहे विशेष सफाई अभियान के क्रम में कुशीनगर में रविवार को करुणा सागर से बुद्धाघाट होते हुए हिरण्यवती घाट तक पाथ-वे की सफाई हुई। इसका शुभारंभ डीएम ने फावड़ा चलाकर किया। कहा कि जनपद के समस्त निकायों में सफाई अभियान चलेगा। बुद्ध से संबंधित होने के कारण पर्यटकों के लिए हिरण्यवती नदी महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरुआत यहां से की गई है। लगभग दो किलोमीटर पाथ-वे की सफाई हुई।
इस दौरान मौजूद अधिकारियों ने भी श्रमदान किया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा, ईओ प्रेमशंकर गुप्त, जेई अभिजीत सिंह, सभासद राम अधार यादव, मुन्ना शर्मा, केशव सिंह, मनोज मद्धेशिया, राजेन्द्र प्रसाद, श्रवण तिवारी, परवेज आलम, संजय यादव व नगरपालिका कुशीनगर व हाटा, नगर पंचायत सुकरौली की टीम के साथ जिला पंचायतीराज विभाग के सफाई कर्मचारी शामिल रहे।
भिक्षु चंद्रमणि की मनाई गई 147 वीं जयंती
बौद्ध महातीर्थ कुशीनगर के विकास में भूमिका निभाने वाले भिक्षु चंद्रमणि महास्थविर की 147 वीं जयंती म्यांमार बुद्ध विहार में रविवार को मनाई गई। महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में विशेष पूजा के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने म्यांमार बुद्ध मंदिर परिसर में स्थित बोधि वृक्ष की वंदना कर उस पर जल चढ़ाया।
अध्यक्षता कर रहे कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष व म्यांमार बुद्ध मंदिर के प्रमुख एबी ज्ञानेश्वर ने कहा कि भिक्षु चंद्रमणि ने कुशीनगर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुशीनगर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिली। इनका जन्म आज ही के दिन सन 1875 में म्यांमार में हुआ था। 1903 में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और कुशीनगर आए। उन्होंने बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर को 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। भिक्षु चंद्रमणि का निर्वाण कुशीनगर में ही 1972 में हुआ था।
भंते नन्दका, फ्रा अथार्नधम्मानुसित, भिक्षुणी धम्मनैना, भंते तेजवंत, भंते उपालि, भंते संघरक्षिता, रामनगीना, संजीव उपाध्याय, हरिबंश यादव,डा. राजकुमार त्यागी,कलारानी सिंह,राजेन्द्र पटेल, पूनम,नीलम,नीलम आदि उपस्थित रहे।
बोधगया से लाया गया है बोधिवृक्ष
भिक्षु चंद्रमणि की जयंती पर जिस बोधिवृक्ष पर जल चढ़ाया जाता है वह 68 वर्ष पुराना है। इसका रोपण बोधगया से पौधा लाकर नेपाली उपासिका शीला ने सन 1954 में यहां किया था।