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नहाय-खाय के साथ सूर्य उपासना का पर्व छठ शुरू

काíतक शुक्ल पक्ष चतुर्थी गुरुवार को नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ) शुरू हो गया। शुक्रवार को खरना शनिवार को सूर्यदेव को सायंकालीन अ‌र्घ्य तथा रविवार को सुबह अ‌र्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होगा। यूपी व बिहार समेत देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर व्रती महिलाएं सामान की खरीद में लगी हैं तो छठ घाटों पर साफ-सफाई व वेदियों की रंगाई-पोताई अंतिम चरण में है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 11:27 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 11:27 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ सूर्य उपासना का पर्व छठ शुरू
नहाय-खाय के साथ सूर्य उपासना का पर्व छठ शुरू

कुशीनगर : काíतक शुक्ल पक्ष चतुर्थी, गुरुवार को 'नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ) शुरू हो गया। शुक्रवार को खरना, शनिवार को सूर्यदेव को सायंकालीन अ‌र्घ्य तथा रविवार को सुबह अ‌र्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होगा। यूपी व बिहार समेत देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर व्रती महिलाएं सामान की खरीद में लगी हैं तो छठ घाटों पर साफ-सफाई व वेदियों की रंगाई-पोताई अंतिम चरण में है। ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय कहते हैं, पहले दिन की पूजा के बाद से नमक का त्याग कर दिया जाता है। छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं खीर का प्रसाद तैयार करती हैं। खीर गन्ने के रस का बनता है। सायं प्रसाद ग्रहण करने के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है।

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सूर्य और षष्ठी की पूजा

छठ महापर्व पर गीत षष्ठी देवी के गाए जाते हैं, लेकिन आराधना भगवान सूर्य की होती है। ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, सूर्य और षष्ठी देवी भाई-बहन हैं। मान्यता है कि सुबह और शाम सूर्य की अरुणिमा में षष्ठी देवी निवास करती हैं। इसलिए भगवान सूर्य के साथ षष्ठी देवी की पूजा होती है।

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डूबते व उगते सूर्य को अ‌र्घ्य

छठ पर्व के तीसरे दिन काíतक शुक्ल षष्ठी को पूर्ण उपवास रहकर व्रती महिलाएं डूबते हुए भगवान कर्ता-धर्ता को अ‌र्घ्य देगी। चौथे दिन उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण होता है। अ‌र्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पारन करेंगी।

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कैसे करें पूजन

षष्ठी के दिन पूर्वाह्न वेदी पर जाकर छठ माता की पूजा करें और घर लौट आएं। अपराहन घाट पर वेदी के पास जाएं। पूजन सामग्री वेदी पर चढ़ाएं व दीप जलाएं। अस्ताचलगामी सूर्य को दीप दिखाकर प्रसाद अíपत करें। दूध और जल चढ़ाएं। फिर जल में दीप प्रवाहित करें। सुबह घाट पहुंचें और व्रती महिलाएं पानी में खड़ा होकर सूर्य उदय की प्रतीक्षा करें। सूर्य देव जब दिखने लगें तो दीप अíपत कर उसे जल में प्रवाहित करें। फिर हाथ से जल अíपत करें। दूध चढ़ाएं और भगवान सूर्य को अíपत करें।

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छठ पर्व से जुड़ी हैं लोक कथाएं

लोक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद को छह कृतिकाओं ने अपना स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की थी। उस समय स्कंद के छह मुख हो गए थे। कृतिकाओं द्वारा उन्हें दुग्धपान कराया गया था, इसलिए ये काíतकेय कहलाए। लोकमान्यता यह भी है कि यह घटना जिस मास में घटी थी, उस मास का नाम काíतक पड़ गया इसलिए छठ मइया की पूजा काíतक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया जाता है।

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मुख्य प्रसाद है ठेकुआ

सूर्य षष्ठी पूजा में ऋतुफल के अतिरिक्त आटा, गुड़ और घी से निíमत ठेकुआ प्रसाद होना अनिवार्य है। इस पर सांचे से भगवान प्रकाश रूप के रथ का चक्र अंकित किया जाता है। पूजा सामग्री में पांच तरह के फल, मिठाइयां, गन्ना, केले, नारियल, अन्नानास, नींबू, शकरकंद, अदरक नया अनाज शामिल होता है


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