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बड़े भाइयों के प्रति आदर करने की बच्चों को मिल रही सीख

लाक डाउन ने फिर से परिवार को एक साथ रहने का मौका दिया है जिससे दशकों पूर्व की यादें ताजा हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 10:35 PM (IST)
बड़े भाइयों के प्रति आदर करने की बच्चों को मिल रही सीख
बड़े भाइयों के प्रति आदर करने की बच्चों को मिल रही सीख

कुशीनगर: कोरोना वायरस की वजह से लाक डाउन ने फिर से परिवार को एक साथ रहने का मौका दिया है, जिससे दशकों पूर्व की यादें ताजा हो गई हैं। घर-घर लोगों की दिनचर्या बदल गई है। सुबह चाय की चुस्की के साथ नौ बजे लोग टीवी के सामने बैठ जा रहे हैं। घरों में रहने की विवशता ने लोगों को एक साथ कर दिया है। रामायण व महाभारत धारावाहिक देखने के लिए पूरा परिवार टीवी के पास डटे रह रहे हैं। लॉकडाउन में घरों में बोर हो रहे लोगों ने इससे काफी राहत की सांस ली है। नई पीढ़ी के लिए नई सीख लेकर आई है। नगर पंचायत छितौनी के बाजार निवासी दीपू सरावगी, बीडीगंज टोला निवासी छेदी प्रसाद व छितौनी खास टोला निवासी शारदा मद्धेशिया के घर शुक्रवार को उनके परिवार के सदस्य व बच्चों ने रामायण का प्रसारण देखा। उन्होंने कहा कि रामायण धारावाहिक देखने से बच्चों में बड़े भाइयों के प्रति आदर करने की सीख मिल रही है। लोगों ने पुराने धारावाहिक श्री कृष्णा, चंद्रकांता आदि का भी प्रसारण होना चाहिए। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोग महाभारत के अलग-अलग प्रसंग को देख हर्षित व भाव विभोर होते रहे। कहा कि 30 वर्ष पूर्व जिस मनोयोग से कलाकारों का चयन किया गया निश्चित ही सराहनीय है।

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आपसी भाईचारा सिखाता है रामायण सीरियल

-गृहणी हंसरावती देवी महाभारत की भावपूर्ण प्रस्तुति की सराहना करती हैं। तीन दशक लंबा समय बीत गया। कहती हैं यह सीरियल व इसके पात्र मन में पूरी तरह से रच बस गए हैं। इसे जितनी बार देखा जाए नया ही लगता है। रामायण की कहानी में प्रभु राम की मर्यादा,आपसी प्रेम, बड़ों व छोटों के प्रति सम्मान, आदर, प्रेम व जीवन में एक अच्छे राह पर चलने की मार्ग बताता है। जो हमें आत्मसात करना चाहिये। लॉकडाउन में समय बेहतर कट जाएगा।

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समाज में स्थापित होगा बड़े भाई का आदर्श

-गृहिणी पदमा देवी कहती हैं रामायण सीरियल के मर्यादा के प्रतीक राम, छोटे भाई लक्ष्मण, माता सीता, अयोध्या के राजा दशरथ, लंकेश रावण, राम भक्त हनुमान को भला कौन भूल सकता है। नई पीढ़ी को प्रभु राम व माता सीता की चरित्र की बारे में जानकर जीवन की व्यवहार में शामिल करने की जरूरत है। जिससे हम समाज को एक आदर्श समाज के रूप में स्थापित कर सकें। त्याग, बलिदान व मर्यादा के पालन करने वाले भगवान राम को देख समाज में आदर्श कायम होगा।

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महाभारत से मिलती एकजुटता की सीख

-शारदा प्रसाद मद्धेशिया कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम कि जीवन एक संपूर्ण मानव की गाथा है, जिससे हम सभी को इसके बारे में जानना चाहिए तथा उनके द्वारा चले गए पद चिन्हों पर चलकर चाहिए। महाभारत धारावाहिक समाज को एक सूत्र में पिरोने की सीख देता है। छोटी-छोटी बातों से कैसे परिवार में बिखराव होता है। कैसे सगे एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। इससे परहेज करने व परिवार के हर सदस्य को उनके कर्तव्यों व दायित्वों का पाठ पढ़ाता है।

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नहीं भूलता कृष्ण का संवाद

-अमेरिका प्रसाद कहते हैं तब महाभारत धारावाहिक को देखे बिना न तो कोई घर से बाहर निकलता न हीं बिना खत्म हुए घरेलू काम में मन ही लगता। ऐसे सीरियल से परिवार में भक्तिमय माहौल व आपसी एकजुटता का भाव उत्पन्न होता है। प्रभु राम, माता सीता उनके तीनों भाइयों व राजा दशरथ की सभी चरित्र मानव जीवन पर उच्च कोटि का प्रभाव डालता है। महाभारत में भगवान कृष्ण के संवाद आज भी कानों में गूंजते हैं। बिखरते परिवारों को महाभारत के कथानक से सीख लेकर खुद की गलतियों पर ध्यान देना चाहिए।


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