भूमि के अभाव में नहीं मिल रहे बाहरी इन्वेस्टर
अभय कुमार सुमन उपायुक्त उद्योग ने कहा कि यहां बड़े उद्योग के लिए भूमि का अभाव है जिसके कारण बाहरी कंपनियां नहीं आ पाती हैं। इसकी वजह से मजबूरन उन्हें गोरखपुर के लिए सुझाव दिया जाता है। अगर भूमि की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाए तो फैक्ट्रियां लगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
कुशीनगर: इन्वेस्टर समिट के बाद से भले ही प्रदेश में उद्योगों की तस्वीर बदल रही हो, लेकिन कुशीनगर में भूमि के अभाव में कोई भी बदलाव नहीं हुआ। यहां बाहरी इन्वेस्टर ही नहीं मिल रहे हैं। नगर की महिला वंदना दूबे ने फार्मेसी फैक्ट्री खोलने के लिए आवेदन किया था। जरूरत के अनुसार ढाई एकड़ भूमि की तलाश भी हुई, जो जनपद में कहीं नहीं मिली, लिहाजा उन्हें फैक्ट्री खोलने के लिए गोरखपुर के गीडा भेजा गया।
सरकार की पहल पर फरवरी 2018 में हुए इन्वेस्टर समिट 1045 एमओयू साइन किए गए थे, लेकिन इसका कहीं से भी लाभ कुशीनगर को नहीं मिला। सूक्ष्म व लघु उद्योगों में बनाए गए सामान क्षेत्रीय बाजार में ही बेचे जाते हैं। इसकी खपत दूसरे जिलों में कम होती है।
सरकार ने विकास को लेकर जो खाका उद्योगों के बारे में खींचा था, वह किसी न किसी कारण से धरातल पर उतरने में सफल नहीं हुआ। इसका प्रमुख कारण बाहरी इन्वेस्टर का न आना और आए भी तो उन्हें जरूरी संसाधन नहीं मिले।
कुशीनगर में कुल 4478 उद्योग पंजीकृत हैं, जिसमें सूक्ष्म, लघु, मध्यम व वृहद शामिल हैं। ब्रेड, बेकरी, मसाला, राइस मिल, आलमारी, इंटरलाकिग ईंट के अलावा पांच चीनी मिलें आदि शामिल हैं।
इन उद्योगों में कार्य करने वालों की संख्या लगभग 12 हजार से अधिक की होगी, जो यहां कार्य करते हैं और उनकी आजीविका चलती है।
अभय कुमार सुमन, उपायुक्त उद्योग ने कहा कि यहां बड़े उद्योग के लिए भूमि का अभाव है, जिसके कारण बाहरी कंपनियां नहीं आ पाती हैं। इसकी वजह से मजबूरन उन्हें गोरखपुर के लिए सुझाव दिया जाता है। अगर भूमि की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाए तो फैक्ट्रियां लगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।