बौद्धों ने समारोह पूर्वक मनाया मधु पूर्णिमा
भाद्रपद पूर्णिमा (मधु पूर्णिमा) के उपलक्ष्य में रविवार को कुशीनगर में समारोह पूर्वक उपासक उपासिकाओं ने भिक्षुओं को संघदान दिया। संघदान प्राप्ति के बाद भिक्षुओं ने दानदाताओं को आशीष दिया। प्रात काल महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में विशेष पूजा हुई। मधु पूर्णिमा के बारे में बताते हुए पी. सोमपोंग ने कहा कि एक बार भिक्षुओं में विवाद हो गया।
कुशीनगर : भाद्रपद पूर्णिमा (मधु पूर्णिमा) के उपलक्ष्य में रविवार को कुशीनगर में समारोह पूर्वक उपासक, उपासिकाओं ने भिक्षुओं को संघदान दिया। संघदान प्राप्ति के बाद भिक्षुओं ने दानदाताओं को आशीष दिया। प्रात: काल महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में विशेष पूजा हुई। मधु पूर्णिमा के बारे में बताते हुए पी. सोमपोंग ने कहा कि एक बार भिक्षुओं में विवाद हो गया। भगवान बुद्ध के हस्तक्षेप करने पर भी विवाद समाप्त नहीं हुआ। बुद्ध दुखी होकर जंगल में रहने के लिए अकेले चल पड़े। वे परिलेय्यक वन पहुंचे। आज ही के दिन वन में एक बंदर ने बुद्ध को मधु तथा हाथी ने केलों का गुच्छा भेंट किया था। इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा को मधु पूर्णिमा कहते हैं और इस दिन मधु दान देने की परंपरा रही है। संघदान का आयोजन टीके राय ने किया था।
पी. सोंगक्रान, भंते ओवासा, भंते शीलवंश, भिक्षुणी धम्मनैना, अनागारिक ज्योति, भंते गांधी, भंते मुलायम, भंते कोबिद, मोरिन राय, डॉ. वीना कुमारी, मरकस, रामनगीना, मौसम, दीपक आदि उपस्थित रहे।