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बदहाल व्यवस्था, बेसहारा पशु बेहाल

प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी वृहद गो-संरक्षण योजना के तहत खड्डा ब्लॉक के कोपजंगल में एक करोड़ 20 लाख की लागत से बनाया गया आश्रय स्थल बदइंतजामी का शिकार है। जिम्मेदारों की उदासीनता से अब तक कई मवेशियों की मौत हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 10:51 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:12 AM (IST)
बदहाल व्यवस्था, बेसहारा पशु बेहाल
बदहाल व्यवस्था, बेसहारा पशु बेहाल

कुशीनगर: प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी वृहद गो-संरक्षण योजना के तहत खड्डा ब्लॉक के कोपजंगल में एक करोड़ 20 लाख की लागत से बनाया गया आश्रय स्थल बदइंतजामी का शिकार है। जिम्मेदारों की उदासीनता से अब तक कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। जागरण ने शनिवार को केंद्र की पड़ताल की तो अनेक कमियां नजर आईं। हरे चारे व दाने का बेहतर इंतजाम न होने से देखभाल करने वाले कर्मचारी पशुओं को सूखा भूसा खिला रहे हैं।

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मानक के अनुसार पशुओं को नहीं मिलता भोजन

आश्रय स्थल में 118 पशु रखे गए हैं। प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी ने अनुसार प्रति पशु 10 किग्रा. भूसा व हरा चारा, 250 ग्राम दाना, 50 ग्राम गुड़ प्रतिदिन खिलाना है। वहीं यहां देखरेख कर रहे कर्मचारियों के मुताबिक प्रतिदिन चार क्विटल भूसा, 70 किग्रा हरा चारा, 20 किलो चोकर, सात किग्रा गुड़ खिलाया जाता है, यह आधे से भी कम है।

सुरक्षित नहीं है पशु

-केंद्र के चारों तरफ बाउंड्री के नाम पर लोहे की जाली लगाई गई है, जो जमीन से दो-ढाई फुट ऊपर है। रात में कुत्ते व सियार घुस जाते हैं और पशुओं को काट लेते हैं। मच्छरों से बचाव का भी कोई इंतजाम नहीं है। एक वर्ष पूर्व यहां छिड़काव कराया गया था।

शो-पीस बना ट्रांसफार्मर

बेहतर विद्युत व्यवस्था के लिए छह माह पूर्व 25 केवीए का ट्रांसफार्मर यहां आया था जो खुले में पड़ा धूल फांक रहा है। चारा काटने की मशीन, पानी का मोटर व पंखे नहीं चल पाते हैं। 16 पैनल व बैट्री से सुसज्जित सोलर सिस्टम तकनीकी फाल्ट से तीन-चार घंटे में ही डिस्चार्ज हो जाता है। पशु व कर्मचारी अंधेरे में रहते हैं।

कहते हैं जिम्मेदार

नोडल अधिकारी एसडीएम कोमल यादव ने कहा कि बाउंड्री की जाली जमीन से कुछ ऊपर होने की जानकारी नहीं है। आश्रय स्थल पर जो कमियां हैं जांच कराकर दूर कराई जाएंगी।

नोडल कमेटी के पदेन सचिव बीडीओ आनंद प्रकाश ने कहा कि जाली में कमी की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। शासन से प्रति पशु 30 रुपये मिलता है, उसी में काम चलाया जाता है।

प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ. उज्जवल खरवार ने कहा कि पशुओं के बीमार होने की सूचना पर इलाज किया जाता है। शीघ्र ही कैंप लगाया जाएगा।


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