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कोरोना में पिछड़ी खेती, अब मौसम की मार

सर्वाधिक दिक्कत लो-लैंड में धान की रोपाई करने वाले किसानों को है। रोपे गए धान के पौधे बर्बाद हो रहे हैं। बीच-बीच में चलने वाली तेज हवा के चलते गन्ने की फसल भी ढहने लगी है। खेतों में पानी की वजह से पौधों की बंधाई भी संभव नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 11:06 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:06 AM (IST)
कोरोना में पिछड़ी खेती, अब मौसम की मार
कोरोना में पिछड़ी खेती, अब मौसम की मार

कुशीनगर: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पिछड़ी खेती के बाद अब किसानों को मौसम की मार सहनी पड़ रही है। एक माह से हर दूसरे-तीसरे दिन हो रही बारिश से किसानों की चिता बढ़ गई है। अधिकतर खेतों में पानी भर गया है, इससे धान की फसल डूबने लगी है।

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सर्वाधिक दिक्कत लो-लैंड में धान की रोपाई करने वाले किसानों को है। रोपे गए धान के पौधे बर्बाद हो रहे हैं। बीच-बीच में चलने वाली तेज हवा के चलते गन्ने की फसल भी ढहने लगी है। खेतों में पानी की वजह से पौधों की बंधाई भी संभव नहीं है। विशुनपुरा ब्लॉक के सेखुई निवासी घरभरन दूबे कहते हैं कि 16 जून को मानसून की पहली बारिश के बाद एक एकड़ खेत में धान की रोपाई कराई थी। दूसरे दिन से लगातार बारिश होने लगी। खेत से मिट्टी निकलवाने से भूमि नीची हो गई है और पानी भर गया है। रोपे गए पौधे अब सड़ने लगे हैं। रामकोला ब्लॉक के डम्मर छपरा निवासी रामकेवल यादव ने कहा कि कप्तानगंज-रामकोला रोड और कप्तानगंज-थावे रेलवे लाइन के बीच वाटर लॉकिग एरिया है। अचानक अधिक बारिश होने से खेतों में पानी भर गया है, धान की फसल डूब गई है और गन्ना ढह रहा है। दमोदरी गांव के सीताराम और सुकदेव ने कहा कि अभी एक पखवारा पहले ही धान की रोपाई कराई गई थी। लगातार बारिश की वजह से खेत में पानी भर गया है और पौधों का बढ़वार रुक गया है।


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