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हादसों की वजह बन सकते हैं 422 जर्जर भवन

परिषदीय विद्यालयों के जर्जर भवनों में पढ़ाई भले न हो रही हो लेकिन स्कूल परिसर में मौजूद यह निष्प्रयोज्य भवन कभी भी हादसे की वजह बन सकते हैं। बारिश के मौसम में तो खतरा और बढ़ गया है। इन जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के लिए कई बार रिमाइंडर भेजा गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 10:55 PM (IST)
हादसों की वजह बन सकते हैं 422 जर्जर भवन
हादसों की वजह बन सकते हैं 422 जर्जर भवन

कुशीनगर : परिषदीय विद्यालयों के जर्जर भवनों में पढ़ाई भले न हो रही हो, लेकिन स्कूल परिसर में मौजूद यह निष्प्रयोज्य भवन कभी भी हादसे की वजह बन सकते हैं। बारिश के मौसम में तो खतरा और बढ़ गया है। इन जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के लिए कई बार रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

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जनपद के 14 विकास खंडों में ऐसे भवनों की संख्या 422 है, जिनसे छात्र व शिक्षकों की जान को खतरा है। इनमें 361 प्राथमिक व 61 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के भवन हैं। सिसवा मठिया गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में बीते एक जून को छज्जा गिरने से 15 वर्षीय दीपक मौके पर ही मौत हो गई। गांव वालों का कहना है कि बच्चे इन भवनों के आसपास ही खेलते हैं और कभी भी यहां हादसा हो सकता है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विमलेश कुमार ने बताया कि जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट देने के लिए लोक निर्माण विभाग समेत तीन विभागों के अधिशासी अभियंताओं की गठित टीम को जिलाधिकारी ने तीन बार व मैंने दो बार रिमाइंडर भेजा है। रिपोर्ट अभी मिली नहीं है, उसके आने के बाद ही जर्जर भवनों की नीलामी व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ हो पाएगी।

यहां के इतने भवन जर्जर

पडरौना 54

नेबुआ नौरंगिया 30

विशुनपुरा 35

कसया 23

रामकोला 16

खड्डा 38

सेवरही 32

हाटा 10

तमकुही 37

मोतीचक 21

सुकरौली 29

कप्तानगंज 09

फाजिलनगर 70

दुदही 18


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