2600 प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जिला समन्वयक प्रेमप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि शासन ने निर्देश दिया है कि बाहर से आने वाले मजदूरों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराई जाए। इसके तहत मिट्टी के कार्य शुरू कराए गए हैं। रोजगार के लिए जो आवेदन करेगा उसका जाबकार्ड बनाकर कार्य दिया जाएगा।
कुशीनगर: वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए चल रहे लॉकडाउन में देश के विभिन्न शहरों से गांव लौटे प्रवासी मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट दिखने लगा है। अब तक जिले में करीब 65 हजार मजदूर आ चुके हैं। प्रशासन का मानना है कि अभी 35 हजार और मजदूर आएंगे। मनरेगा सेल के आंकड़े बता रहे हैं कि 3600 लोगों ने रोजगार के लिए आवेदन किया था। उनमें से 2600 मजदूरों को कार्य दे दिया गया है, शेष आवेदनों की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जिला समन्वयक प्रेमप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि शासन ने निर्देश दिया है कि बाहर से आने वाले मजदूरों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराई जाए। इसके तहत मिट्टी के कार्य शुरू कराए गए हैं। रोजगार के लिए जो आवेदन करेगा, उसका जाबकार्ड बनाकर कार्य दिया जाएगा। मजदूरों को चाहिए कि वे अपने गांव के प्रधान और सचिव के पास रोजगार के लिए आवेदन करें। उनकी ओर से सबका जाबकार्ड बनाकर मनरेगा के तहत धन की डिमांड की जाएगी। उसी के अनुरूप कार्य भी उपलब्ध कराया जाएगा।
मारपीट के हुए दर्जन भर मामले, किसी में प्रवासी शामिल नहीं
पडरौना: लॉकडाउन के दौरान जिले में मारपीट के एक दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें आधा से अधिक मामले भूमि विवाद के रहे जबकि अन्य दूसरे मामलों से जुड़े रहे। मारपीट के इन मामलों में किसी प्रवासी मजदूर के शामिल होने की बात सामने नहीं आई।
एक अप्रैल को विशुनपुरा थाना क्षेत्र के गांव नरहवां किरतपट्टी में भूमि विवाद को लेकर नत्थू, राजेश के बीच मारपीट हो गई। इस घटना में चार लोग घायल हुए थे। पांच दिन बाद छह अप्रैल को हाटा कोतवाली क्षेत्र के गांव जोल्हिनिया में हुए भूमि विवाद में शंकर, विनोद सहित पांच लोग घायल हुए। 13 मई को बरवापट्टी थाना क्षेत्र के गांव दसहवा में भूमि विवाद को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों में भिड़ंत के बाद अफरा-तफरी मच गई। इस घटना में आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। एसपी विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि लॉकडाउन में जनपद में अपराध की घटनाओं में कमी आई है। मारपीट के मामले कई जगहों पर सामने आए, हालांकि इन घटनाओं में किसी प्रवासी मजदूर के शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है।