सात चिकित्सकों के भरोसे 24 पशु चिकित्सालय
जिले में पशु चिकित्सालयों की संख्या 24 है लेकिन कुल मिलाकर सात चिकित्सक तैनात हैं। ऐसे में पशुओं के इलाज में आनी वाली दिक्कतों का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। स्थिति यह है कि जिले में उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के पांच स्वीकृत पदों में दो पर ही तैनाती है। बाकी पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह पशु चिकित्साधिकारी के 22 पदों की जगह सिर्फ पांच पशु चिकित्साधिकारियों की तैनाती है।
कुशीनगर: पशुपालन विभाग द्वारा बरती जा रही उदासीनता का खामियाजा पशुपालक भुगत रहे हैं। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों पर पशुओं का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। साथ ही कई पशुधन प्रसार केंद्र भी बदहाल हैं।
जिले में पशु चिकित्सालयों की संख्या 24 है लेकिन कुल मिलाकर सात चिकित्सक तैनात हैं। ऐसे में पशुओं के इलाज में आनी वाली दिक्कतों का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। स्थिति यह है कि जिले में उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के पांच स्वीकृत पदों में दो पर ही तैनाती है। बाकी पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह पशु चिकित्साधिकारी के 22 पदों की जगह सिर्फ पांच पशु चिकित्साधिकारियों की तैनाती है। 24 पशु फार्मासिस्ट के पद पर महज आठ कार्य कर रहे हैं। बाकी पद काफी समय से खाली चल रहे हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में भी स्थिति ठीक नहीं है। वहां संचालित 32 पशु सेवा केंद्रों पर 19 पशुधन प्रसार अधिकारियों की तैनाती है। यहां भी बाकी पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। ऐसे में चिकित्सकों के न होने से पशुपालकों को पशुओं का इलाज कराने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। मजबूरी में झोला छाप की मदद लेने पड़ती है। साथ ही सरकार की योजनाओं का उन्हें लाभ भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है।
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.एचएन सिंह कहते हैं कि सीमित संसाधनों में पशुओं के इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। चिकित्सकों समेत अन्य पदों पर कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि यह समस्या जल्द ही खत्म हो जाएगी।