पश्चिमी गंडक नहर की 200 मीटर पटरी ध्वस्त
कुशीनगर जनपद की लाइफलाइन कही जाने वाली मुख्य पश्चिमी गंडक नहर की पटरी रिसाव से करीब
कुशीनगर: जनपद की लाइफलाइन कही जाने वाली मुख्य पश्चिमी गंडक नहर की पटरी रिसाव से करीब 200 मीटर की लंबाई में ध्वस्त हो गयी है। खड्डा विकास खंड के गैनही जंगल गांव के सामने ध्वस्त हुई मुख्य पश्चिमी नहर की पटरी की वजह से सिचाई विभाग की लापरवाही खुल कर सामने आयी है। समय रहते इसकी मरम्मत न हुई तो कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया जनपद के साथ-साथ बिहार प्रांत गोपालगंज व पश्चिमी चंपारण जिले के किसानों के सामने सिचाई के लिए पानी की समस्या हो जाएगी।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पहल पर मुख्य पश्चिमी गंडक नहर के निर्माण हो जाने के बाद कुशीनगर जनपद के कृषि उपज में आशातित क्रांति आई थी, क्योंकि यहां फसलों की सिचाई के लिए पानी का इंतजाम नहीं था। खेतों की प्यास बुझाने के लिये सरकार ने इस नहर से लगभग 1700 किमी माइनर एवं रजवाहों का निर्माण कराया था। इसके बाद से फसलों को संजीवनी मिली और कुशीनगर, महराजगंज व देवरिया जनपद के किसान खुशहाल हो गए। इसकी मरम्मत के नाम पर कागज में प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद पटरी से लेकर गंडक नहर की सिल्ट की सफाई कभी पूरी नहीं हुई। यही कारण है कि जर्जर पटरी हल्के पानी रिसाव से ध्वस्त हो गई।
जिला पंचायत सदस्य संदीप श्रीवास्तव, आनन्द सिंह का कहना है कि नहर की दुर्दशा सिचाई विभाग के अभियंताओं की घोर लापरवाही का नतीजा है। गैनही ड्रेन के पानी का डाइवर्जन करने की बजाय अभियंताओं ने ड्रेन के पानी को बांध बनाकर रोक दिया। नतीजा यह हुआ कि मुख्य पश्चिमी गंडक नहर पानी की दबाव झेल न सकी ध्वस्त हो गयी।
मामला संज्ञान में आया है। इसके लिए सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। शीघ्र ही ध्वस्त पटरी को ठीक करा लिया जाएगा।
भूपेंद्र एस चौधरी, डीएम