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साल बीता, अब तक नहीं पहुंचा रजबहों में पानी

चायल तहसील के चार दर्जन से अधिक गांवों की फसल सिचाई के लिए नहरों का जाल बिछाया गया है। बड़ी माइनर समेत उससे जुड़ी छोटी नहरों तक साल बीतने के बाद भी पानी नहीं पहुंचा है। किसानों ने मूंग उड़द नेनुआ तुरई आदि जैद की फसलों की बोआई भी शुरू कर दिया है। किसानों का आरोप है कि खरीफ की फसलें धन जौ बाजरा रबी की गेहूं सरसों मटर आलू जैद की फसल उड़द मूंग आदि तीनों ऋतुओं के फसलों की सिचाई किसानों को अधिक धन खर्च कर निजी नलकूपों से करनी पड़ती है। इसके चलते किसानों की लागत भी नहीं निकलती और उन्हें खेती से होने वाला मुनाफा नहीं मिल पाता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 11:16 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 11:16 PM (IST)
साल बीता, अब तक नहीं पहुंचा रजबहों में पानी
साल बीता, अब तक नहीं पहुंचा रजबहों में पानी

कसेंदा : चायल तहसील के चार दर्जन से अधिक गांवों की फसल सिचाई के लिए नहरों का जाल बिछाया गया है। बड़ी माइनर समेत उससे जुड़ी छोटी नहरों तक साल बीतने के बाद भी पानी नहीं पहुंचा है। किसानों ने मूंग, उड़द, नेनुआ, तुरई आदि जैद की फसलों की बोआई भी शुरू कर दिया है। किसानों का आरोप है कि खरीफ की फसलें, धन, जौ, बाजरा, रबी की गेहूं, सरसों, मटर, आलू, जैद की फसल उड़द, मूंग आदि तीनों ऋतुओं के फसलों की सिचाई किसानों को अधिक धन खर्च कर निजी नलकूपों से करनी पड़ती है। इसके चलते किसानों की लागत भी नहीं निकलती और उन्हें खेती से होने वाला मुनाफा नहीं मिल पाता है।

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किसानों को सस्ती व सुविधा जनक सिचाई के लिए यमुना तराई क्षेत्र में रजबहों का जाल बिछाया गया है। इसमें समयानुसार सिल्ट सफाई कराने के बाद पंप कैनालों से पानी छोड़ने का प्रावधान है। जिले में बड़ी माइनरों से कई छोटी नहरों में पानी पहुंचता है। इसी तरह तिल्हापुर से असरावल जाने वाली माइनर से जुड़ी लोधउर से तिलगोड़ी, उस्मानपुर से कुंडारी, सेंहुढा से नूरपुर, लोधउर से रेही आदि विकास खंड नेवादा क्षेत्र के चार दर्जन से अधिक गांवों की सैकड़ों एकड़ खेती नहर के सहारे है। इसमें किशुनपुर एकडला पंप कैनाल से पानी आता है। क्षेत्र के कुंडारी के रोशन लाल, छोटेलाल, सेंवढ़ा के ननकू लाल, भरतलाल, रामप्रसाद, नूरपुर हाजीपुर निवासी अनिरुद्ध उपाध्याय, शिवकुमार, शिवसागर, रेही के हंसमुख, मनोज, मकदूमपुर के रामप्रसाद, तियरा के राकेश कुमार, ज्ञान सिंह यादव, लोधउर के छोटे लाल, नन्हेंलाल आदि ने बताया की रबी की फसल तो तैयार हो ही चुकी है। साथ ही खाली पड़े खेतों में जैद के फसलों की बोआई भी किसान करने लगे हैं, लेकिन तिल्हपुर से असरावल माइनर में अभी तक पानी नहीं पहुंचा। माह भर पहले सिल्ट सफाई पर लाखों रुपये सरकारी धन से फिजूल खर्ची भी किया गया है।

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इन गांवों में नहरों का जाल

विकास खंड नेवादा के सरैया, सुरसेना, सुरसेनी, कुम्हारन का पुरवा, हजारी का पुरवा, मीरापुर गंधोई, हसिमपुर किनार, दरहा, गोमदापुर, भगवानपुर, जठिया, इमलीगांव, डिठूरा, पिपरहाई, तिल्हापुर, पूरेहजारी, सेंवथा, गोपालपुर, अमवां, दुर्गापुर, औधन, फरीदपुर, रसूलपुर ब्यूर, लोधउर, सेंवढ़ा, दूलापुर, कमालपुर, बरेठी, नूरपुर हाजीपुर, रेही, बलहेपुर, बूंदा, तिलगोड़ी, नसीरपुर, शेरगढ़, चंद्रसेन, तियरा, गांजा, मकदूमपुर असरावल आदि गांवों तक नहरों का जाल बिछाया गया है।

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सिल्ट सफाई पर बेकार में खर्च हुआ धन

विकास खंड नेवादा क्षेत्र के रेही निवासी मन्नू, हंसमुख, लोधउर निवासी अंकित, जगदीश, मोहनलाल, सेंवढ़ा के ननकू लाल, रामबाबू, चंद्रसेन गांव के नीरज, बब्लू, सुरेश, मकदूमपुर के रामप्रसाद, जयकरण आदि ने बताया की करीब माह भर पहले इलाके की सभी नहरों की सिल्ट सफाई कराई गई थी। इसके बाद भी नहर में पानी नहीं आया है। इससे नहर की सिल्ट सफाई पर सरकारी धन से लाखों रुपये फिजूल में खर्च किया गया है।


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