कागज में सूखा राहत की कार्ययोजना, प्यास से व्याकुल पशु-पक्षी
जासं कौशांबी गर्मी के दिनों में पशु-पक्षियों को प्यास से तड़पना न पड़े। इसके मद्देनजर पूर्व में तैयार की गई सूखा राहत की कार्ययोजना में वन विभाग ने जिले की न्याय पंचायतों के बागों में चरही बनाकर पानी भराने की बात कही गई थी। गर्मी के दो माह बीत जाने के बाद भी तैयार की गई कार्ययोजना पर अमल नहीं किया गया। स्थिति यह है कि एक भी न्याय पंचायत के बाग में गड्ढा बनाकर पानी नहीं भराया गया।
जासं, कौशांबी : गर्मी के दिनों में पशु-पक्षियों को प्यास से तड़पना न पड़े। इसके मद्देनजर पूर्व में तैयार की गई सूखा राहत की कार्ययोजना में वन विभाग ने जिले की न्याय पंचायतों के बागों में चरही बनाकर पानी भराने की बात कही गई थी। गर्मी के दो माह बीत जाने के बाद भी तैयार की गई कार्ययोजना पर अमल नहीं किया गया। स्थिति यह है कि एक भी न्याय पंचायत के बाग में गड्ढा बनाकर पानी नहीं भराया गया।
पानी के अभाव में जिले के अधिकतर तालाब सूख गए हैं। पानी के अभाव में पशु-पक्षी परेशान हैं। इससे निपटने के लिए दो माह पूर्व सूखा राहत की कार्ययोजना में वन विभाग से स्पष्ट किया था कि जिले की सभी न्याय पंचायतों की बागों में चरही व गड्ढा बनाकर पानी भरवाया जाएगा। इसी पानी से जंगली पशु व पक्षी अपनी प्यास बुझाएंगे। सूखा राहत के लिए तैयार की गई कार्ययोजना पर जिलाधिकारी ने मोहर लगाकर शासन को रिपोर्ट भी भेजी है। अप्रैल से गर्मी पड़ रही है। दो माह बीतने को है, लेकिन पशु-पक्षी की प्यास बुझाने के लिए तैयार की गई कार्ययोजना पर अमल नहीं किया। बागों में पानी न होने से पशु- पक्षी बेहाल हैं। बागों में पानी न मिलने के कारण जंगली जानवर प्यास बुझाने के लिए गांव में आ जाते हैं। पिछले वर्ष आधा दर्जन मोर की हुई है मौत
भूजल स्तर गिरने की वजह से कौशांबी में पानी का संकट है। गर्मी के मौसम में तालाब सूख जाते हैं। पशु-पक्षियों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में पाने का सही इंतजाम नहीं किया, जिससे आधा दर्जन से अधिक मोरों की मौत हो गई थी। इससे मद्देनजर इस बार वन विभाग ने न्याय पंचायत स्तर पर चरही व गड्ढा बनाकर पानी भराने का खाका तैयार किया है, लेकिन अब तक पानी नहीं भराया गया।