जल्द ही सैलानियों को भी लुभाएगी अलवारा झील
कौशांबी : सब कुछ ठीक रहा तो जनपद की अलवारा झील सिर्फ साइबेरियन पक्षियों को ही नहीं, सैलानियों को भी लुभाएगी।
कौशांबी : सब कुछ ठीक रहा तो जनपद की अलवारा झील सिर्फ साइबेरियन पक्षियों को ही नहीं, सैलानियों को भी आने वाले दिनों में अपनी ओर आकर्षक करेगी। झील को पक्षी विहार का दर्जा दिलाने की पहल शुरू हो गई है। जिला प्रशासन व वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार कर शासन को प्रस्ताव भिजवा दिया है। शासन से धन आवंटित होते ही झील का कायाकल्प कराया जाएगा।
इलाहाबाद मंडल में कुदरत का खजाना है कौशांबी की अलवारा झील। यह सदर तहसील क्षेत्र में करीब 21 हेक्टेयर भूमि में फैली है। इस झील का पानी भूगर्भीय जलस्तर को मेंटेन रखता है। बारिश में झील में भरा पानी गर्मियों में मवेशियों की प्यास बुझाता है। सिंचाई का भी यह अहम स्त्रोत है। सर्दी के मौसम में हजारों मील दूर से बड़ी संख्या में साइबेरियन पक्षी यहां प्रवास करते हैं। प्रभागीय वन अधिकारी ओपी अंबष्ट के मुताबिक नवंबर में साइबेरिया में ठंड अधिक पड़ती है। इससे बचने के लिए साइबेरियन पक्षी अलवारा झील में आते हैं। यह दूरी तय करने में उन्हें करीब एक सप्ताह का समय लगता है। उन्होंने बताया कि इन दिनों झील में हजारों पक्षी आ गए हैं। उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर लिया गया है।
डिप्टी सीएम की रुचि से बढ़ी बात
इस झील के कायाकल्प के लिए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पहल की थी। उन्होंने विजन 2019 के तहत उक्त झील को पक्षी विहार को दर्जा दिलाने के लिए कार्ययोजना मांगी थी। इसी क्रम में वन विभाग व जिला प्रशासन ने कार्ययोजना तैयार कर शासन को रिपोर्ट भेजी है।
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300 बीघे में मछली पालन
सुंदरीकरण के बाद अलवारा झील के कुछ हिस्से में मत्स्य पालन होगा। मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मत्स्य) पारसनाथ कहते हैं कि झील का करीब 300 बीघा हिस्सा मछली पालन के कार्य में लाया जा सकता है।
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विजन 2019 के तहत अलवारा झील को पक्षी विहार को दर्जा दिलाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद झील को विकसित किया जाएगा। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी।
मनीष कुमार वर्मा, जिलाधिकारी कौशांबी।