..तो सांस लेने के लिए कहां से लाएंगे शुद्ध वायु
कौशांबी । सरकार के लाख प्रयास के बावजूद पर्यावरण के संरक्षण के नाम पर लापरवाही बरती जा रही है।
कौशांबी । सरकार के लाख प्रयास के बावजूद पर्यावरण के संरक्षण के नाम पर लापरवाही बरती जा रही है। अगर पर्यावरण के संरक्षण की ओर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो लोगों को सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे ही चलता रहा तो सांस लेने के लिए कहां से शुद्ध वायु लाएंगे?
स्वच्छता के नाम पर जनपद में महज खाना पूर्ति के साथ लाखों की हेराफेरी की जा रही है। इससे पर्यावरण के संरक्षण का अभियान फ्लाप हो रहा है। इस संबंध में जनपदवासियों ने अधिकारियों से शिकायत की थी। इसके बाद भी स्थिति पहले जैसी ही है। पर्यावरण को स्वच्छ बचाने के लिए सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च कर रही है। अभियान चलाने के लिए शासन ने विभागाध्यक्ष व संस्थाओं को निर्देश जारी किया है, जिसमें गंगा की सफाई, पौधरोपण व वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ईट भट्ठों व वाहनों की समय- समय पर जांच करना शामिल है, लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह से पर्यावरण पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
गंगा सफाई के नाम पर हो रहा खेल
पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए गंगा की सफाई के लिए कई संस्था कार्य कर रही हैं। फिर भी गंगा में आज भी गंदगी तैरती नजर आ जाती है। स्वच्छता कायम करने के नाम पर सरकार संस्थाओं को प्रति वर्ष लाखों रुपये अवमुक्त कर रही है। गंगा सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यही वजह से शासन के भारी प्रयास के बाद गंगा का पानी दूषित है।
निस्तारण का इंतजार नहीं, बस्ती के बीच फेंक रहे कचरा
जिले की नगर पंचायतों व ग्रामीण क्षेत्र से निकले वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया। इसकी वजह से लोगों के घरों से निकलने वाले कचरे को बस्ती के बीच फेंक दिया जाता है। इससे कस्बे व गांवों के बीच गंदगी बनी रहती है। साथ ही वहां का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने अधिशासी अधिकारी व ईओ से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।