.. हम तो मुखिया उही का बनाउब जै गांव का चमकाई
गंगा-यमुना के बीच आबाद कौशांबी में भले ही चौथे चरण में 29 अप्रैल को पंचायत चुनाव के लिए मतदा
गंगा-यमुना के बीच आबाद कौशांबी में भले ही चौथे चरण में 29 अप्रैल को पंचायत चुनाव के लिए मतदान होगा, लेकिन माहौल उत्सवी हो चला है। लोकतंत्र में वैसे भी चुनाव किसी त्योहार से कम नहीं होता। पंचायत चुनाव इसका अपवाद नहीं। गांव गिरांव की चौपाल में सुबह से लेकर शाम तक बस चुनावी चर्चा ही होती है, इससे बढ़ कर कोई काम धाम मानो नहीं रह गया है। जिला पंचायत सदस्य की 26, क्षेत्र पंचायत सदस्य की 654, प्रधान पद की 451 और ग्राम पंचायत सदस्य के 5871 सीटों का फैसला मतदाता अपनी समझ के अनुसार करेंगे पर फिलहाल गांव की सरकार चुनने में सब अपनी भागीदारी रेखांकित कराना चाहते हैं। इसलिए व्यूह रचना बन रही है। मंझनपुर ब्लाक की टेंवा और टेनशाहआलमाबाद ग्राम पंचायत में बीते दो दिनों में सजी चुनावी महफिल और इसमें हुई बतकही पर शैलेंद्र द्विवेदी की यह रिपोर्ट..।
विकास खंड मंझनपुर की ग्राम पंचायत टेंवा में लगभग चार हजार मतदाता हैं। सबसे महत्वपूर्ण प्रधान पद की सीट इस बार समान्य वर्ग के लिए है। ऐसे में चुनावी टेंपरेचर बढ़ता जा रहा है। गांव के पास महेश बाबा का देवस्थान है। मंगलवार दोपहर यहीं चौपाल सजी थी। खेती किसानी का काम निपटाने के बाद यहां बैठे कुछ ग्रामीण पुजारी के शीतला प्रसाद के साथ अपनी-अपनी पसंद, नापसंद साझा कर रहे थे। हालांकि कोई भी, किसी प्रत्याशी विशेष का नाम लेने से बच रहा था। अशर्फीलाल बोले - अबकी बार तो प्रधान पद के लिए सात व जिला पंचायत के तीन उम्मीदवार हैं। हर कोई घर आ रहा है वोट मांगने के लिए लेकिन हम तो सोच-समझ कर मतदान करब, वोट उही का देब जो गांव का विकास करी। सिर हिलाते हुए पुजारी ने उनकी बात समर्थन किया। बोले -होय क त इहै चाही पर जब लोग समझैं अपने वोट का महत्व। प्रदीप नारायण पांडेय को कहीं न कहीं इस बात पर मलाल था कि पंचायत चुनाव में भी राजनीतिक दल भी अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार रहे हैं। बोले प्रधानी व जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में भाजपा अउर कांग्रेस के नेता देखात अहयं, लेकिन हम केहू के चक्कर मा न परब। सोच-समझ के ही मुखिया का चुनाव करब, जिससे गांव का चहुंमुखी विकास हो और लोगन को सुविधा मिले। नरेंद्र कुमार, मिथलेश ने हां- हां कहते हुए प्रदीप की बातों का समर्थन किया। श्रीगणेश की बारी आई तो बोले, अपनी मर्जी से वोट देने का अधिकार सबको मिला है। हम तो केहू के दबाव अऊर प्रलोभन में वोट न देब। वोट वही का करब जो शिक्षित होई और गांव मा भी शहरी सुविधा दिलाने के लिए प्रयास करी। पुजारी शीतला प्रसाद ने कहा कि समय आय गवा है कि सब लोग सोच-समझ कर फैसला करो।
मंझनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत टेनशाहआलमाबाद भी चुनावी चकल्लस से अछूती नहीं है। पदों के दावेदार रात दिन एक किए हुए हैं तो वोटर बातचीत में सही प्रत्याशी के चयन का उपक्रम कर रहे हैं। यहां कुल 7100 मतदाता हैं। प्रधान का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। सोमवार दोपहर संतोष कुमार के परचून की दुकान में चौपाल सजी थी। इसमें उत्सुकता यह जानने की थी कि कौन-कौन चुनाव मैदान में उतर रहा है? रामदास लोधी ने कहा कि अबहिन पर्चा नहीं भरा गवा, लेकिन आठ लोग प्रधानी के लिए वोट मांगत अहयं। कुछ तो सरकारी सुविधा दिलावै का वादा भी करत अहय लेकिन हम केहू के बहकावे में न आउब। हमरे घरे का वोट त उही का जाइ जे गांव मा पानी की टंकी व खेल मैदान बनवाई। योगेश सिंह इस तर्क से असहमत थे। बोले, तुम गलत कहत हौ, अबहिन तो प्रत्याशी वादा कर लेंगे, लेकिन कुर्सी पाने के बाद अपने मन की करेंगे। बोले, हम तो ओका वोट देब जोन शिक्षित व योग्य होए। गांव का विकास व जनहित में काम करें। महेंद्र कुमार व शिवमूरत योगेश सिंह की बातों से कुछ हद तक सहमत दिखे। बोले, गांव का मुखिया चुनने का मौका पांच साल मा मिलत बा। भलाई एही में बा कि बिना केहू के बहकावे में आकर गांव को चमकाने वाले प्रत्याशी को जिताया जाय। के के लरत अहय, इस पर सभी लोग अपना-अपना दावा कर रहे थे। बैठकी करीब एक घंटे की हो गई थी। बतकही का समापन संतोष की इस बात से हुआ कि अब सब लोग अपने-अपने घरे जा। जब वोट देय का दिन आए तो फैसला सोच समझ के किहा।