समूह की महिलाएं करेंगी कोटेदारी, बिजली बिल वसूली
ग्रामीण क्षेत्रों में गठित स्वयं सहायता समूह अभी तक सशक्त नहीं थे। समूहों के गठन के बाद उनको सरकारी सहायता के लिए बैंकों का मुंह ताकना पड़ता था। ऐसे में समूहों को और सशक्त करने और रोजगार से जोड़ने के लिए शासन ने पहल की है।
कौशांबी : ग्रामीण क्षेत्रों में गठित स्वयं सहायता समूह अभी तक सशक्त नहीं थे। समूहों के गठन के बाद उनको सरकारी सहायता के लिए बैंकों का मुंह ताकना पड़ता था। ऐसे में समूहों को और सशक्त करने और रोजगार से जोड़ने के लिए शासन ने पहल की है। समूहों को गांव में कोटेदारी करने और बिजली का बिल वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसके लिए समूह की महिलाओं के बीच जाकर सुझाव मांगे जा रहे हैं। इसके बाद महिलाओं को गांव का आवंटन किया जाएगा। यह महिलाएं चयनित गांव में काम करेंगी। इस काम के बदले उनको कमीशन मिलेगा।
जनपद के विभिन्न गांव में 1364 स्वयं सहायता समूह गठित हैं। इन समूह की महिलाओं को अब तक आपस में किसी स्वरोजगार की योजना बनाकर ऋण मुहैया कराया जाता था। इसके बाद समूह की महिलाएं उस कार्य में जुटती थी जिसके लिए उन्हें ऋण मिला है। इस काम में महिलाएं शुरू में रुचि लेती थीं, लेकिन बाद में पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उनका ध्यान हटने लगता है। इसका परिणाम रहा कि कुछ समूह तो सफल हुए, लेकिन भारी संख्या में समूह नाकाम होने लगे। धरातल में उनको जो कार्य करना था, उसमें समूह सफल नहीं हुए। ऊपर से बैंक का ऋण समूह की महिलाओं के लिए बोझ हो गया। शासन ने अब इन समूहों को और मजबूत करने की योजना बनाई है। इसके लिए उनको सीधे जनता से जोड़ने की योजना तैयार हुई है। अब गांव में गठित महिलाओं के समूह को सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का आवंटन और विद्युत बिल की वसूली की जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनी है। इसके लिए समूह की महिलाओं से उनकी रुचि जानी जा रही है। समूह अपने आप इस बात का फैसला करेगा कि उनको क्या काम करना है। जिन समूह की महिलाओं ने सहमति दी, उनको काम मिलेगा। इसके लिए समूह की महिलाओं की राय मांगी जा रही है। जैसे ही उनके विकल्प विभाग को मिलेगी। समूह को कार्य देने की पहल होगी। जिला विकास अधिकारी विजय कुमार ने बताया महिलाएं जो काम करेंगी, उससे जुड़े उपकरण व प्रशिक्षण संबंधित विभाग देगा। यह कदम समूहों को और मजबूत करेगा।