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गोद लिए गांव को भूल गए हैं अधिकारी

जासं, कौशांबी : कुपोषण को दूर करने के लिए जन जागरूकता व आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली सुविधाओं को

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 08:18 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 08:18 PM (IST)
गोद लिए गांव को भूल गए हैं अधिकारी
गोद लिए गांव को भूल गए हैं अधिकारी

जासं, कौशांबी : कुपोषण को दूर करने के लिए जन जागरूकता व आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली सुविधाओं को जानकारी देने के लिए इन दिनों राष्ट्रीय पोषण अभियान चलाया जा रहा है। अभियान की सफलता के लिए जिला स्तरीय अधिकारी गांव का भ्रमण कर वहां पर होने वाले कार्यक्रमों की जांच करे। इसके लिए जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश भी दिया है, लेकिन जिन अधिकारियों ने गांवों को गोद लिया है। वह गांव पर नहीं पहुंच रहे है। मानीट¨रग के अभाव में राष्ट्रीय पोषण अभियान फेल हो रहा है।

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शासन के निर्देश पर सितंबर माह राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें गांव-गांव प्रभातभेरी निकाल कर कुपोषण के खिलाफ जन आंदोलन चलाने के लिए लोगों को जागरूक करना। स्वास्थ्य विभाग व आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देने के लिए आइसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग, पंचायतीराज व शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। शासन के निर्देश के बाद कार्यक्रम कर्मचारियों की ओर से कार्यक्रम तो चलाया जा रहा है। किस दिन क्या हुआ। इसकी रिपोर्ट भी अधिकारियों को भेजी जाती है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो भेजी जाने वाली रिपोर्ट हकीकत से परे हैं। ग्रामीणों की माने तो एक सितंबर से पोषण अभियान आइसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा है। कुपोषण को खत्म करने व योजनाओं की मानीट¨रग करने के लिए 40 जिला स्तरीय अधिकारियों ने 80 गांवों को गोद लिया है। नेवादा विकास खंड के नूरपुर गांव को प्रभारी मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, पनारा गोपालपुर के डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद मिश्र व दीवर कोतारी को डीपीओ राकेश कुमार मिश्र ने गोद लिया है। ग्रामीणों की मानें तो अभियान के दौरान अधिकारी गांव नहीं गए। इससे राष्ट्रीय पोषण माह की मानीट¨रग नहीं हो पा रही है। -----------

कुपोषण को रोकने के लिए क्या है व्यवस्था

- जनपद में खोले गए 1790 आंगनबाड़ी केंद्र।

- पंजीकृत बच्चों को पोषाहार व हाटकुक्ड देना।

- छह माह के अंत्राल में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना।

- कुपोषित बच्चों को चयनित कर सीएचसी व पीएचसी में इलाज कराना।

- अतिकुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करना।

- एएनएम व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अभिभावकों को जागरूक करना।


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