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दूल्हे के फूंफा और भतीजे की उठी अर्थी तो हर हुई आंख नम

जासं, कौशांबी : रविवार को रक्सराई गांव के पास हुए भीषण हादसे में आठ लोगों की जांच चली गई थी। उसमें प

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 09:17 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 09:17 PM (IST)
दूल्हे के फूंफा और भतीजे की उठी अर्थी तो हर हुई आंख नम
दूल्हे के फूंफा और भतीजे की उठी अर्थी तो हर हुई आंख नम

जासं, कौशांबी : रविवार को रक्सराई गांव के पास हुए भीषण हादसे में आठ लोगों की जांच चली गई थी। उसमें पांच लोग बराती थी तो तीन लोग बाइक और साइकिल सवार थे। मरने वालों में पांच लोग दूल्हे लवलेश के रिश्तेदार हैं। सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया। पश्चिमशरीरा के रामाधीन का पुरवा गांव में दूल्हे के फूका और भतीजे की अर्थी एक साथ उठी तो हर आंख नम हो गई। ऐसे ही चार अन्य शवों का अंतिम संस्कार अलग-अलग गांवों में किया गया।

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रामाधीन का पुरवा निवासी मोतीलाल की ससुराल बड़हरी गांव में थी। उसके साले के बेटे लवलेश की शादी थी। वह शादी को लेकर बेहद खुश था। शादी में फूफा ने सारी रश्में निभाई। उसे क्या पता था कि उसकी यह खुशियां चंद घंटों की काफूर हो जाएगी। रविवार को मोतीलाल अपने नाती राजन और साजन के साथ बोलेरो से लौट रहे थे। रास्ते में बोलेरो हादसे का शिकार हुई तो दोनों की मौत हो गई। रात में उनका शव गांव पहुंच तो पूरे परिवार के साथ ही गांव के लोगों में मानो मातम छा गया। मोतीलाल के बेटे व राजन के पिता जमशेर का सब से बुरा हाल था। एक तरफ उसका बेटा था तो दूसरी ओर उसके पिता। दोनों की मौत ने उसे तोड़कर रख दिया। सोमवार को दोनों का गांव के बाहर अंतिम संस्कार कर दिया गया। मोतीलाल घर का मुखिया था। उसकी मौत के बाद अब घर की जिम्मेदारी जमशेर पर आ गई। इससे उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई है। घर में शव रहकर पिता का हो रहा इंतजार

संसू, पश्चिमशरीरा : बोलेरो चालक गुलशन परिवार में एकलौता था। उसके पिता नग्गन अली मुंबई में रहकर प्राइवेट नौकरी करते हैं। रविवार को जैसे ही उनको बेटे की हादसे में मौत की जानकारी मिली तो उनकी दुनिया ही उजड़ गई। बदहवास हालत में वह जैसे थे। उसी प्रकार से घर के लिए निकल पड़े। सोमवार की शाम तक नग्गन अली घर नहीं पहुंचे थे। इस पर परिवार के लोग गुलशन के शव को घर के बाहर रखकर उसके पिता के आने का इंतजार कर रहे हैं। नग्गन के मंगलवार तक घर आने की संभावना है। वहीं दूसरी ओर एकलौते बेटे का शव देखकर गुलशन के परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है। भूमिहीन रोहित को प्रशासनिक मदद का सहारा

ननकू पेशे से राजगीर है। वह घर में जरूरी काम होने के कारण रविवार को काम पर नहीं गया था। किसी काम से वह सरायअकिल गया था। करीब 11 बजे वह साइकिल से घर लौट रहा था। पत्नी पहले ही उसे छोड़कर दूसरे के साथ जा चुकी थी। 14 वर्षीय बेटा उसका घर में इंतजार कर रहा था। उसे क्या पता की उसके पिता अब घर लौटकर नहीं आएंगे। रविवार को वह चित्तापुर से आ रही बरातियों से भरी बोलेरो की चपेट में आ गया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। रात करीब नौ बजे उसका शव पोस्टमार्टम के बाद घर पहुंचा तो बेटा पिता के शव से लिपट कर छाती-पीट कर रोने लगा। पूरी रात वह रोता रहा। पड़ोसी व रिश्तेदार उसे ढांढस बंधाते रहे। इसके बाद भी उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। वह बस यही कह रहा था कि अब वह किसके सहारे रहेगा। सोमवार की सुबह करीब 11 बजे ननकू का अंतिम संस्कार यमुना किनारे स्थित भखंदा घाट पर हुआ। रिश्ते के दादा गुलाब उसे आपने घर लेकर चले गए। रोहित की मां को पांच विसवा का भूमि पट्टा मिला था। मां के जाने बाद उसका वह सहारा भी नहीं रहा। अब रोहित को प्रशासनिक मदद का ही सहारा है। विजय के शव देखकर रोते रहे परिजन

संसू, बारा : सड़क हादसे में बोलेरो सवार लवलेश के मौसी का बेटा विजय उर्फ गोरेलाल की भी मौत हो गई। रविवार की रात उसका शव घर पहुंचा तो उसे देखकर जैसे सब की आंखे पथरा सी गई। जो जहां जिस हाल में था। वह उसकी प्रकार शव को देखकर भाग पड़ा। तीन भाइयों व दो बहनों में सब से बड़े गोरे के शव से लिपटकर परिवार के लोग रोने-पिटने लगे। गोरे के पिता रामजस पेशे से किसान थे। तीन बेटों व दो बेटियों वाले परिवार में रामजस का हाथ बंटाने वाला केवल गोरे ही था। वह हर समय पिता की मदद के लिए तैयार रहता था। जवान बेटे की मौत ने उसे तोड़ कर रख दिया था। घर आने वाला हर व्यक्ति उसे ढांढस बंधा रहे थे। इसके बाद भी रह रह कर उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। सोमवार को गोरे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पति का शव देखकर बदहवास हो गई सीता

संसू, बारा : रविवार की रात जैसे ही रथलाल का शव गांव पहुंचा। उसकी पत्नी सीता व चार बेटियों की हाल बेहाल हो गए। सीता पिता के शव को लिपटकर रोने लगी तो बेटियों बार-बार पिता को उठाने का प्रयास करती रही। हर किसी के आंखों में आंसू थे। उसके आया का कोई जरिया न होने के कारण वह गांव में मेहनत मजदूरी करते हुए परिवार का भरण पोषण करता था। रथलाल की मौत ने पूरे परिवार के तोड़ कर रख दिया। परिवार की आर्थिक स्थित सही नहीं थी। ऐसे में हर कोई यहीं कह रहा था कि अब इनका सहारा कौन बनेगा। हर कोई प्रशासनिक मदद से ही परिवार के भला होने की बात कर रहा था। सोमवार को गमगीन माहौल में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। रोशनी की मौत ने परिवार को तोड़ा

दुल्हे के मामा की बेटी रोशनी की मौत ने पूरे परिवार के लोगों को तोड़ कर रखा दिया था। तीन छोटे भाइयों के बीच रोशनी सब से बड़ी थी। पिता बुधई व मां गांव में मेहनत मजदूरी कर परिवार को भरण पोषण करते थे। इस दौरान वही घर में रहकर अपने छोटे भाई बहनों को संभालने का काम करती थी। उसका शव जैसे रविवार की रात को घर पहुंचा परिवार के लोगों के रोने-पीटने के शोर से पूरे गांव मे मानो मातम छा गया। सोमवार को परिवार के लोगों ने उसका गांव में अंतिम संस्कार कर दिया। नहीं हुई एक शव की शिनाख्त

बरातियों से भरी बोलेरो ने रविवार को रक्सराई में एक बाइक और दो साइकिल सवारों को टक्कर मारी थी। उस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी। उसमें पांच बराती के अलावा एक बाइक सवार और दो साइकिल सवार थे। सात की शिनाख्त हो गई लेकिन एक शिनाख्त नहीं हो सकी है। सराय अकिल एसओ हेमंत मिश्रा ने बताया कि घटनास्थल से दो साइकिल बरामद हुई है। एक साइकिल, एक बाइक और बोलेरो सवार की शिनाख्त हुई लेकिन एक साइकिल सवार की शिनाख्त नहीं हो सकी है। वह सराय अकिल के आसपास का ही है लेकिन अब तक उसे पहचानने कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि उस शख्स की उम्र करीब 26 साल है और वह सांवला रंग व लंबे चेहरे का है। उसमें नीली लोवर और रेडीमेड शर्ट पहन रखी है। पुलिस उसकी शिनाख्त के लिए आसपास गांवों के लोगों को बुलवाया है।


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