स्वीट कॉर्न की मिठास किसानों को करेगी मालामाल
जिले में पहली बार स्वीट कॉर्न यानी मीठा मक्का की खेती कराने के लिए कृषि व मृदा वैज्ञानिकों
जिले में पहली बार स्वीट कॉर्न यानी मीठा मक्का की खेती कराने के लिए कृषि व मृदा वैज्ञानिकों ने तैयारी शुरू कर दी है। कम लागत में कृषकों को तीन गुना अधिक मुनाफा दिलाने वाली स्वीट कॉर्न की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगले वर्ष स्वीट कॉर्न की खेती कर जिले के किसान खुद की आर्थिक स्थिति सुधारेंगे।
अभी तक जिले में किसान बारिश के मौसम में मक्के की फसल उगाकर अपने खेतों में दूसरे फसल की खेती किया करते थे, लेकिन अब जनपद की माटी कृषकों को स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न की खेती कराने की तैयारी शुरू की जा रही है। कृषि केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.मनोज सिंह ने बताया कि जिले के खुशहाल किसानों में जैसे सिराथू के बिछौरा निवासी शिवकरन पटेल, यदुराज, टेंगाई सिराथू के रवींद्र पांडेय, सिधिया के किशुनलाल आदि मक्के के अलावा विभिन्न फसलों खेती कर अच्छी पैदावार कर रहे हैं। इनके अलावा जिले के तमाम किसानों को स्वीट कॉर्न की खेती के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। साल में तीन से चार बार होती है खेती
मृदा वैज्ञानिक डॉ. मनोज सिंह ने बताया कि स्वीट कॉर्न की खेती साल भर में तीन से चार बार की जा सकती है। एक हेक्टेयर में 20 से 30 हजार रुपये का खर्च आएगा। फसल तैयार होने के बाद लागत का तीन से चार गुना फायदा उठाया जा सकता है। स्वीट कॉर्न 90 दिन में तैयार होता है। इसके अलावा यदि इस फसल की कटाई 60 दिनों में ही कर ली जाए तो यह बेबी कॉर्न के रूप में किसानों को अच्छा फायदा देती है। सामान्य मक्का से भिन्न है स्वीट कॉर्न
स्वीट कॉर्न की किस्में सामान्य मक्का से भिन्न होती हैं। यह मीठा और स्वादिष्ट एक विशेष प्रकार का मक्का है, जिसका दाना अधिक मीठा होता है। इसे सब्जी और अनेक तरह के पकवान जैसे- स्वीट कॉर्न केक, स्वीट कॉर्न क्रीम स्टाइल इत्यादि बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। हरा भुट्टा तोड़ने के तुरंत बाद हरे पौधे को काटकर हरे चारे के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। अधिक आय प्राप्त करने के लिए स्वीट कॉर्न को गेंदा, ग्लैडियोलस, मसाले, मटर आदि के साथ इसका रबी (सर्दी) के मौसम में अंत: फसलीकरण भी किया जा सकता है।