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शिक्षण सत्र के छह माह बीते, नहीं खुला बाल श्रमिक विद्यालय

जासं कौशांबी श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार ने जिले में बाल श्रमिक वि

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:26 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 11:26 PM (IST)
शिक्षण सत्र के छह माह बीते, नहीं खुला बाल श्रमिक विद्यालय
शिक्षण सत्र के छह माह बीते, नहीं खुला बाल श्रमिक विद्यालय

जासं, कौशांबी : श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार ने जिले में बाल श्रमिक विद्यालय के संचालन के लिए आठ माह पूर्व निर्देश जारी किया था। स्कूल न जाने वाले श्रमिकों के बच्चों की खोज कर एक अप्रैल से स्कूलों में पठन-पाठन कार्य भी शुरू करना था लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह शिक्षण सत्र के छह बाद बीतने के बाद भी स्कूल नहीं खुल सके। इससे श्रमिकों के बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।

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नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट (एनसीएलपी) के तहत कराए गए सर्वे के बाद जिले में 44 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय खोलने की योजना स्थानीय प्रशासन ने तैयार की। सर्वे के मुताबिक 2670 बाल श्रमिकों को इन विद्यालयों में शिक्षित करना था। शासन ने फरवरी 2019 में जिलाधिकारी और बालश्रम परियोजना अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया था कि बाल श्रमिकों की खोज कराकर उनको शिक्षित करने के लिए बाल श्रमिक विशेष विद्यालयों का संचालन कराया जाए। सर्वे के बाद करीब 2670 बाल श्रमिक मिले, जिन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना था किंतु जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अब तक बाल श्रम विद्यालयों का संचालन नहीं हो कसा। इससे बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।

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क्या है बाल श्रमिक विद्यालय

ईट-भट्ठों सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों या अन्य खतरनाक उपक्रमों में कार्य करने वाले 9 से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा के लिए यह स्कूल खोले जाने हैं। स्कूल में बच्चों को तीन साल तक शिक्षा देने के बाद मुख्यधारा से जोड़ते हुए छठी कक्षा में सामान्य स्कूल में नामांकन करा दिया जाता है। इन स्कूलों में शिक्षा के अलावा उम्र व कार्य अनुभव को देखते हुए बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिग भी दी जाती है।

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पोषाहार व छात्रवृत्ति का लाभ

विशेष विद्यालय में नामांकित बच्चों को सरकार की ओर से पूरक पोषाहार दिया जाता है। पांच रुपये प्रति बच्चे, प्रति दिन के हिसाब से पोषाहार राशि के वितरण की व्यवस्था है। इसके अलावा 100 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी मिलती है। यह छात्रवृत्ति बच्चों को मुख्यधारा से जुड़ने के बाद दी जाती है। तब तक यह राशि छात्र के नाम खुले बैंक अकाउंट में जमा रहती है।

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श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए जिले में बाल श्रमिक विद्यालय के संचालन के लिए सर्वे कराया गया था। अब तक स्कूलों का संचालन क्यों नहीं शुरू किया गया। इस संबंध में श्रम प्रवर्तन अधिकारी व बाल श्रम परियोजना प्रबंधक से जवाब मांगा जाएगा।

-मनीष कुमार वर्मा, जिलाधिकारी


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