लक्षमण रेखा पार करते ही किया सीता का हरण
लक्षमण की खींची गई मर्यादा रेखा पार करने के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया। नगर पंचायत करारी की ऐतिहासिक रामलीला के मंच में शनिवार को खरदूषण वध व सीताहरण का मंचन की लीला प्रस्तुत की। पंडाल में महिला दर्शकों की भीड़ नजर आई।
संसू, करारी : लक्षमण की खींची गई मर्यादा रेखा पार करने के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया। नगर पंचायत करारी की ऐतिहासिक रामलीला के मंच में शनिवार को खरदूषण वध व सीताहरण का मंचन की लीला प्रस्तुत की। पंडाल में महिला दर्शकों की भीड़ नजर आई।
रविवार की रात कलाकारों ने शूर्पणखा काटने से रामलीला मंचन की शुरुआत हुई। इसके बाद खरदूषण वध, सीता हरण व बालि वध का मंचन किया। सोने का मृग देख सीता जी ने पाने की जिद की। राम ने मृग का पीछा किया और राम को माया रूपी मृग काफी दूर जंगलों की ओर ले गया। हाय राम-हाय राम की गुहार सुन सीता व्याकुल हो गईं। कहा कि मेरे राम संकट में हैं। उनकी मदद के लिए लक्ष्मण को भेजा। जाते समय उन्होंने कुटी के चारों ओर रेखा खींच दी और मां सीता से उसके पार न जाने को कहा। लक्ष्मण के जाते ही रावण ब्राह्मण वेश में पहुंचा और भिक्षा के बहाने उनका हरण कर लिया। राम व लक्ष्मण सीता की खोज में वन-वन भटकते व विलाप करते किष्किधा पर्वत पहुंचे। यहां उनकी मित्रता सुग्रीव से होती है। अझुवा के दशहरा मेले में निकाली गई मनमोहक झांकियां
संसू सिराथू : नगर पंचायत अझुवा का दो दिवसीय दशहरा मेला शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। मेले में नगर पंचायत समेत आसपास के दर्जनों गांव के हजारों लोगों ने मनमोहक झांकियों एवं रंगीन रोशनियों व झूले का आनन्द लिया।
मेले में झूलों ब्रेक डांस झूला, आसमानी झूला, रेलगाड़ी की यात्रा झूला आदि का आनंद लिया। अजुहा कस्बे में लगी सैकड़ो दुकानों के आसपास मेला कमेटी और महिला पुलिस की व्यवस्था से महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। अंतिम अग्रहरि ने निश्शुल्क चाय की व्यवस्था की थी। नगर पंचायत के प्रतिष्ठित और सामान्य लोगों ने भी चौकियों के शानदार प्रदर्शन पर पुरस्कारों की बौछार की। मेले के अंतिम दिन क्षेत्राधिकारी सिराथू रामवीर सिंह व थानाध्यक्ष सैनी बालेश्वर प्रसाद तिवारी की अगुवाई में अझुवा चौकी इंचार्ज पंधारी सरोज व उपनिरीक्षक गंगाराम सोनकर, राजीव नारायण सिंह सहित बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों सुरक्षा देखी। अझुवा में अहिरावण और रावण वध
अझुवा रामलीला
संसू सिराथू : नगर पंचायत अझुवा के रामलीला कार्यक्रम में रविवार को राम -रावण युद्ध और अहिरावण वध का मंचन किया गया।जिसमे चित्रकूट से आये रामलीला के कलाकारों ने बहुत ही आकर्षक मंचन किया गया । जिसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए
राम लीला मे रावण के कहने पर पाताल पूरी का राजा अहिरावण युद्ध शिविर से राम और लक्ष्मण का अपहरण कर ले गया ।जिससे वानर सेना में हाहाकार मच गया तब विभीषण ने हनुमान को अहिरावण के बारे में बताया। हनुमान जी पवन वेग से पाताल पूरी पहुंचे पाताल पूरी के मुख्य द्वार पर अपने ही सरीखे मकरध्वज को रखवाली करते देखा। जो हनुमान जी का ही पुत्र था। लंका दहन के समय अपनी पूंछ की आग समुद्र में शांत करते समय,पसीने की बूंद मछली के निगलने से गर्भवती हुई जिसे अहिरावण ने पाला था। हनुमान और मकरध्वज में युद्ध हुआ। हनुमान ने मकरध्वज को हराकर राम और लक्ष्मण ने अहिरावण का वध किया। हनुमान राम और लक्ष्मण को कंधों में बिठाकर युद्ध भूमि में पहुंचे। मेघनाद, कुंभकर्ण, अहिरावण आदि के मारे जाने बाद रावण खुद युद्ध मैदान में आया और राम- रावण में घनघोर युद्ध हुआ और रावण मारा गया। भरवारी में धनुष टूटते ही हुई गर्जना
भरवारी रामलीला
संसू, भरवारी : पुरानी बाजार भरवारी में हो रहे रामलीला के पांचवे दिन धनुष यज्ञ लीला हुई, जिसमे जनक प्रतिज्ञा के अनुसार महल में धनुष यज्ञ का आयोजन करते है। जहां पर तमाम सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए राजा-महाराजा भाग लेते हैं और सभी धनुष को उठाने का प्रयास करते है, लेकिन कोई भी धनुष को तोड़ने के बजाए उठाने में अक्षम साबित होते हैं। तभी गुरु विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं कि धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाए। गुरु की आज्ञा पाकर राम, शिव जी के धनुष को हाथ से उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढाते हैं वैसे ही सारे लोग हतप्रभ हो जाते हैं प्रत्यंचा चढ़ाते ही राम से धनुष टूट जाता है। धनुष टुट़ने की आवाज आकाश में गूंजती है वैसे ही महल में परशुराम गरजते हुए महल में पहुंचते हैं। भगवान शिव के इस धनुष को किसने तोड़ा है, कौन है यह दु:साहसी। परशुराम के इस वचन को सुनकर लक्ष्मण बड़े आवेग में आकर कहते हैं कि आपकी कैसी हिम्मत हुई ऐसा कहने कि इस धनुष को किसने तोड़ा। तभी परशुराम और लक्ष्मण में संवाद के आखिर में परशुराम को समझ में आ जाता है कि धनुष को किसने और क्यो तोड़ा है। पंडाल में उपस्थित सभी दर्शक राम नाम के जयकारे लगाने लगते हुए पुष्प की वर्षा करते हैं और इसी के साथ राजा जनक की अन्य तीनों पुत्रियों का विवाह भी क्रमश: लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ हो जाता है। विवाह के उपरान्त सीता जी विदा होकर अयोध्या की ओर प्रस्थान करती हैं। विष्णु की दशावतार लीला के तहत मत्सयअवतार लीला हुई।