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कागज पर हुई सिल्ट सफाई, नहरों में टेल तक पानी नहीं, सिंचाई बाधित

विकास खंड सिराथू के 40 फीसद क्षेत्रफल की फसल को सिचित करने के लिए करारी माइनर व रामगंगा नहर से विभिन्न क्षेत्रों में सिचाई का पानी पहुंचाने के लिए निकाले गए राजबहों की हर साल सिल्ट सफाई कराए जाने का दावा किया जाता है। हालांकि हकीकत कुछ और ही होती है। किसानों का आरोप है कि सिल्ट सफाई सिर्फ कागजों पर होता है जिसके कारण जल प्रवाह न होने से टेल तक पानी पहुंचता पाता है। सिचाई के लिए व्यापक इंतजाम न होने की वजह से दर्जनों गांवों के किसानों की सैकड़ों बीघा फसल खराब हो जाती है। उत्पादन कम होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 11:06 PM (IST)
कागज पर हुई सिल्ट सफाई, नहरों में टेल तक पानी नहीं, सिंचाई बाधित
कागज पर हुई सिल्ट सफाई, नहरों में टेल तक पानी नहीं, सिंचाई बाधित

कौशांबी। विकास खंड सिराथू के 40 फीसद क्षेत्रफल की फसल को सिचित करने के लिए करारी माइनर व रामगंगा नहर से विभिन्न क्षेत्रों में सिचाई का पानी पहुंचाने के लिए निकाले गए राजबहों की हर साल सिल्ट सफाई कराए जाने का दावा किया जाता है। हालांकि हकीकत कुछ और ही होती है। किसानों का आरोप है कि सिल्ट सफाई सिर्फ कागजों पर होता है जिसके कारण जल प्रवाह न होने से टेल तक पानी पहुंचता पाता है। सिचाई के लिए व्यापक इंतजाम न होने की वजह से दर्जनों गांवों के किसानों की सैकड़ों बीघा फसल खराब हो जाती है। उत्पादन कम होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

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फतेहपुर जनपद के असोथर जरैनी पंप कैनाल से निकली 135 किलोमीटर लंबी कारारी माइनर का 45 किलोमीटर सिराथू ब्लाक से होकर निकली है। लगभग 50 किलोमीटर के क्षेत्रफल से पानी पहुंचाने के लिए मुख्य नहर से पइंसा, खनवारी, कैमा, तुलसीपुर, समदा, मानपुर गौरा सहित आठ माइनर निकले हैं। इसके अलावा कड़ा क्षेत्र से होकर निकली रामगंगा कमांड नहर से रामपुर धमावां व गोरियों माइनर निकाले गए हैं। रजबहों में पानी पहुंचाने के लिए हर साल विभाग द्वारा साफ सफाई कराई जाती है लेकिन टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता। जिसकी वजह से किसानों को फसल की सिचाई करने में असुविधा होती है। किसानों का कहना है कि बड़ी नहर में तो कभी कभार पानी छोड़ा जाता है लेकिन रजबहों व छोटी माइनर में जल प्रवाह आधी दूर तक ही पहुंचता है। टेल तक सिचाई का पानी नहीं पहुंच पाता है। क्षेत्र में सिचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में सरकारी नलकूप नहीं हैं। इसकी वजह से फसल बोआई के बाद सिचाई न हो पाने की वजह से उत्पादन नहीं हो पाता है और ऐसे में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। क्या कहते हैं किसान

अवधेश का कहना है कि क्षेत्र में सिचाई के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। गांव से होकर निकली छोटी नहरों व रजबहों में पानी नहीं पहुंचता है। इस वजह से नहर तटीय क्षेत्र के खेतों की फसल पानी के अभाव में सूख कर बर्बाद हो जाती है, और लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। राजकुमार ने बताया कि लाखों रुपये खर्च कर विभाग द्वारा रजबहों की साफ सफाई कराई जाती है। लेकिन पानी का प्रवाह न होने की वजह से किसानों को फसल सिचाई की व्यवस्था नहीं मिल पाती है। वैसे भी खेतों में बोई गई फसल सूख कर बर्बाद हो जाती है। दिनई के मुताबिक क्षेत्र में किसानों को फसल सिचाई करने के लिए सरकारी नलकूप की व्यापक व्यवस्था नहीं थी, जिसकी वजह से नहरों के भरोसे हैं। ऐसे में समय पर नहर में पानी नहीं आता है। जिसकी वजह से फसल सूख कर बर्बाद हो जाती है नतीजतन उत्पादन कम होता है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सुजीत कुमार ने बताया कि सिल्ट सफाई होने के बाद भी बड़ी नहर में समय से पानी नहीं छोड़ जाता है। इसके अलावा खेतों में सिचाई के लिए निकाले गए रजबहों में पानी नही पहुंचता है। सिचाई की व्यवस्था न होने की वजह से किसानों को निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ता है, जिसकी वजह से आर्थिक नुकसान होता है।


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