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कलेक्ट्रेट में फूट-फूटकर रोई मधुपति वाचस्पति

कौशांबी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर कलेक्ट्रेट में वो¨टग हो रही थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 03:01 AM (IST)
कलेक्ट्रेट में फूट-फूटकर रोई मधुपति वाचस्पति
कलेक्ट्रेट में फूट-फूटकर रोई मधुपति वाचस्पति

कौशांबी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर कलेक्ट्रेट में वो¨टग हो रही थी। सदस्य वो¨टग के बाद आ जा रहे थे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधुपति भी वो¨टग के बाद बाहर आ गई। थोड़ी देर बात वह दोबारा वो¨टग रूम की ओर जाने लगी तो एसडीएम मंझनपुर ने उन्हें रोक दिया। जिसको लेकर मधुपति बिफर गई।

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वे कलेक्ट्रेट में डीएम कार्यालय के बाहर आकर मीडिया के सामने रोने लगीं। उनका आरोप था कि प्रशासन उनके साथ पक्षपात कर रहा है। विरोधियों को अंदर-बाहर आने से नहीं रोका जा रहा। जबकि उनको रोका जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव को लेकर कई तरह की कमियां किए जाने का भी आरोप लगाया। कहा कि रात में उनको विरोधी खेमे के लोगों ने बुलाया था। वहां बड़ी संख्या में असलहाधारी मौजूद थे। वहां उनको डराया धमकाया गया था। यह कहते हुए वह रोने लगी। जैसे उन्हें आभास हो चुका था कि चुनाव हार रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह इसकी शिकायत डीप्टी सीएम से करेंगी।

अचानक पुलिस ने बंद करा दीं दुकानें

- जिला पंचायत के चुनाव कलेक्ट्रेट में हो रहे थे। कलेक्ट्रेट मुख्य मार्ग से करीब दो सौ मीटर अंदर है। प्रशासन की ओर से मुख्य सड़क पर वाहनों के प्रयोग को पूरी तरह से बंद कर दिया था। इसके बाद भी समर्थक डायट मैदान तक आ गए। वह आस-पास की दुकानों पर खड़े थे। इसको लेकर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधुपति ने अधिकारियों के सामने विरोध किया। जिसके बाद एसडीएम चायल व सिराथू ने डायट मैदान के आस-पास के साथ ही कचेरहरी रोड तक की दुकानों को बंद करा दिया।

मुधपति के समर्थक नदारद

अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान डायट मैदान सहित अन्य स्थानों में बड़ी संख्या में लोग जमा थे। इन लोगों में कई अनामिका ¨सह के समर्थक थे। इसी दौरान मधुपति के साथ ही उनके समर्थकों को भी हार का पूर्वानुमान हो गया था। जिसके कारण वह मतदान स्थल तक नहीं गए और धीरे-धीरे वहां से खिसक गए।

इस्तीफा देने का गणित फेल

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधुपति के खिलाफ करीब दो माह पहले अनामिका ¨सह अविश्वास प्रस्ताव लाई थीं। प्रशासन की ओर से अविश्वास की तिथि भी घोषित हो गई। इससे पहले ही मधुपति ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली। उनको उम्मीद थी कि सत्ता में भाजपा है और उसकी सदस्यता लेकर फिर से कुर्सी पाई जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


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