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पुलिस भर्ती फर्जीवाड़ा : जालसाजों ने बयान में छिपाया मास्टरमाइंड का नाम

जासं कौशांबी पुलिस भर्ती फर्जीवाड़ा में उदासीनता से आरोपितों का बयान मंझनपुर कोतवाली में होने के बजाए इलाहाबाद के हाईकोर्ट में करा दिया गया। इसकी जानकारी पुलिस को तब हो पाई जब अदालत ने बयान की पत्रावली कोतवाली पहुंची। बयान में अधिकांश जालसाजों ने फर्जी मार्कशीट बनवाने वाले का नाम छिपाया है। इससे मास्टरमाइंड तक पहुंचने में मुश्किलें बढ़ गई हैं। विवेचक की नजर मास्टरमाइंड पर तिरछी है। पुलिस के पास अभी भी अहम सबूत हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:36 PM (IST)
पुलिस भर्ती फर्जीवाड़ा : जालसाजों ने बयान में छिपाया मास्टरमाइंड का नाम
पुलिस भर्ती फर्जीवाड़ा : जालसाजों ने बयान में छिपाया मास्टरमाइंड का नाम

जासं, कौशांबी : पुलिस भर्ती फर्जीवाड़ा में उदासीनता से आरोपितों का बयान मंझनपुर कोतवाली में होने के बजाए इलाहाबाद के हाईकोर्ट में करा दिया गया। इसकी जानकारी पुलिस को तब हो पाई, जब अदालत ने बयान की पत्रावली कोतवाली पहुंची। बयान में अधिकांश जालसाजों ने फर्जी मार्कशीट बनवाने वाले का नाम छिपाया है। इससे मास्टरमाइंड तक पहुंचने में मुश्किलें बढ़ गई हैं। विवेचक की नजर मास्टरमाइंड पर तिरछी है। पुलिस के पास अभी भी अहम सबूत हैं।

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बीते सपा शासन काल में उत्तर प्रदेश में सिपाहियों की भर्ती हुई थी। इसमें जनपद के भी सैकड़ों युवाओं ने भाग लिया था। मेरिट के आधार पर हो रही भर्ती में उस समय कुछ लोगों की मुसीबत बढ़ गई, जब उन्हें पता चला कि कम अंकों वाले युवाओं को भर्ती में शामिल नहीं किया जाएगा। इस बीच दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों की मुलाकात नेवादा इलाके के एक शिक्षा माफिया से हो गई। उसने पांच से सात लाख रुपये लेकर तमाम युवकों को बढ़े अंक की फर्जी मार्कशीट मध्यप्रदेश के एक विश्वविद्यालय से बनवाकर दे दी। प्रमाणपत्रों के सत्यापन के दौरान भर्ती बोर्ड लखनऊ के अफसरों को सुल्तानपुर के एक व्यक्ति ने शिकायती पत्र भेजा कि कौशांबी के तमाम युवकों ने फर्जी मार्कशीट लगा रखी है। हरकत में आए भर्ती बोर्ड के अफसरों ने जांच कराई तो 32 जालसाज पाए गए। भर्ती बोर्ड का पत्र मिलने के बाद जुलाई में पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने सभी जालसाजों के खिलाफ मंझनपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। मामले में ढिलमुल रवैया अपनाए जांच अधिकारी की उदासीनता का नतीजा यह रहा कि जब तक पुलिस दस्तावेजों का सत्यापन अपने स्तर पर एमपी की यूनिवर्सिटी से कराती, तब तक दर्जन भर से अधिक आरोपितों ने हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे ले लिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपितों को नोटिस भेज कर सप्ताह भर के भीतर बयान दर्ज कराने को कहा लेकिन एक भी आरोपित कोतवाली नहीं पहुंचा। पुलिस की अनदेखी के चलते सभी आरोपितों ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता के माध्यम से बयान दर्ज करा दिया। इसकी पत्रावली जब मंझनपुर कोतवाली तक पहुंची तो होश उड़ गए। अब पुलिस की मुश्किलें बढ़ी हुई है। गौर करने वाली बात यह रही कि अभियुक्तों ने अपने बयान में जालसाज का नाम छिपा लिया है। आरोपितों के बयान को विवेचना में शामिल कर पुलिस अब चार्जशीट न्यायालय में दाखिल करने की तैयारी कर रही है। मास्टर माइंड का नाम सामने न आने पर पुलिस पशोपेश की स्थिति में फंसी हुई है। 14 आरोपितों ने अरेस्ट स्टे के बाद हाईकोर्ट में अपने बयान दर्ज करा दिए हैं। इस पत्रावली में शेष आरोपितों ने भी अपने बयान कराए हैं। मास्टर माइंड का नाम छिपाया गया है। इससे थोड़ा परेशानी बढ़ेगी लेकिन फर्जी मार्कशीट बनवाने वाले शातिर के पर्याप्त साक्ष्य अभी भी मौजूद हैं, उन्हें विवेचना में शामिल कर शिक्षा माफिया पर शिकंजा कसा जाएगा।

- राकेश चौरसिया, प्रभारी निरीक्षक मंझनपुर।


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