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सीता-राम विवाह कथा सुन भाव-विभोर हुए लोग

जिला मुख्यालय मंझनपुर के इंद्रप्रस्थ नगर में साईं महोत्सव के दौरान राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाए। कथा समाप्त होने के बाद कथा वाचक ने साईं नाथ की आरती कराई और प्रसाद का वितरित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 11:31 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 06:11 AM (IST)
सीता-राम विवाह कथा सुन भाव-विभोर हुए लोग
सीता-राम विवाह कथा सुन भाव-विभोर हुए लोग

जासं, कौशांबी : जिला मुख्यालय मंझनपुर के इंद्रप्रस्थ नगर में साईं महोत्सव के दौरान राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाए। कथा समाप्त होने के बाद कथा वाचक ने साईं नाथ की आरती कराई और प्रसाद का वितरित किया गया।

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साईं महोत्सव में सोमवार कथा वाचक अखिलेश दास महाराज ने श्री राम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा किया कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। एक-एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवता फूलों की वर्षा करने लगे। इस मौके पर श्रद्धालुओं में केडी द्विवेदी, सुशीला द्विवेदी, नरेंद्र सिंह, महेश लाल श्रीवास्तव, पवन द्विवेदी, चंद्रभान गुप्ता, धमेंद्र शुक्ला, गोरखनाथ, कैलाश बिहारी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे। बिना सत्संग के बेकार है मनुष्य का जीवन

संसू सिराथू : सैनी बाजार स्थित कबीर आश्रम में सोमवार को कबीर आश्रम फतेहपुर के संत शंकर ने बताया कि जन्म लेने के बाद मनुष्य अपने कर्तव्य को भूल जाता है। वह प्रभु की भक्ति व सतसंग की ओर ध्यान नहीं देता है। ऐसे मनुष्य का जीवन बेकार है। कार्यक्रम में सैनी प्रधान संतोष पटेल, रामदास, ऊदल प्रसाद, राजाराम, मुन्नूलाल, छेददू, शिवबाबू गौतम का विशेष सहयोग है। शिव महापुराण के श्रवण मात्र से मुक्ति संभव

संसू, पुरखास : विकास खंड नेवादा के तिल्हापुर गांव स्थित ब्रह्माचारी आश्रम में चल रही शिवमहापुराण कथा में प्रतापगढ़ से पधारे कथावाचक आचार्य प्रभाकरजी महराज ने सोमवार को उपस्थित श्रोताओं को शिवमहापुराण के महात्म्य का आत्मबोध कराया। उन्होंने कहा कि शिवमहापुराण की कथा धन्य है, भगवान शिव के परम धाम को प्राप्त कर लेते हैं। शिवपुराण कथा सभी लोकों में श्रेष्ठ है। भगवान शिव को आशुतोष भी कहा जाता है जिसका तात्पर्य है शीध्र प्रसन्न हो जाने वाले देवता। संगीतमय शिवमहापुराण कथा में सहयोगी आचार्य पप्पू व्यास, ढोलक दुर्गेंद्र, हारमोनियम पर रामचंद्र, बांसुरी वादक श्रवण कुमार ने विशेष सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के मुख्य यजमान टीटू मिश्र, गयाप्रसाद तिवारी, सम्राट, शक्ति, महाकाल आदि लोग मौजूद रहे।


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