..और नहीं मिली एंबुलेंस, बाइक से ले आए प्रसूता को
स्वास्थ्य के लिहाज से जनपद में चल रही एंबुलेंस सेवा पटरी से उतरी हुई है। कभी एंबुलेंस के अभाव में तीमारदार निजी साधनों का प्रयोग करते हैं तो कभी रास्ते में खटारा एंबुलेंस खड़ी होने पर लोगों को अपना कोई साधन करना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के लिए एंबुलेंस सेवा लंबे इंतजार कर सबब बनी रही है। मंगलवार को भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया जब दो घंटे तक 102 पर कॉल करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो पति अपनी प्रसूता पत्नी को बाइक पर ही बैठाकर घर ले गया। अस्पताल में लाकर पत्नी की डिलीवरी कराई।
नारा : स्वास्थ्य के लिहाज से जनपद में चल रही एंबुलेंस सेवा पटरी से उतरी हुई है। कभी एंबुलेंस के अभाव में तीमारदार निजी साधनों का प्रयोग करते हैं, तो कभी रास्ते में खटारा एंबुलेंस खड़ी होने पर लोगों को अपना कोई साधन करना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के लिए एंबुलेंस सेवा लंबे इंतजार कर सबब बनी रही है। मंगलवार को भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया, जब दो घंटे तक 102 पर कॉल करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो पति अपनी प्रसूता पत्नी को बाइक पर ही बैठाकर घर ले गया। अस्पताल में लाकर पत्नी की डिलीवरी कराई।
मरीजों को अस्पताल ले जाने व घर छोड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 108 व 102 निश्शुल्क एंबुलेंस सेवा चल रही है। इसके तहत जिले में 53 एंबुलेंस अलग-अलग रास्तों पर दौड़ती हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के गृहनगर सिराथू स्थित सीएचसी में पांच एंबुलेंस हैं। इनमें तीन 108 व दो 102 एंबुलेंस हैं। मौजूदा समय में मरम्मत न होने से सभी गाड़ियां खराब हैं। इसकी वजह से क्षेत्र के लोगों को मरीज को अस्तपाल लाने और उसे ले जाने में परेशानी झेलनी पड़ रही है। फोन करने पर समय पर गाड़ी नहीं आती है। मजबूरी में लोगों को अपने साधन से अस्पताल जाना पड़ता है। कई बार रास्ते में गाड़ी खराब भी हो जाती है। ऐसे में गंभीर स्थिति होने पर मरीज कराहता रहता है। सिराथू सीएचसी क्षेत्र के राघवपुर निवासी कल्लू प्रसाद की पत्नी सुनीता को सोमवार की शाम प्रसव पीड़ा हुई। कल्लू का कहना है कि उसने 102 नंबर पर कॉल की, लेकिन काफी देर तक एंबुलेंस ने पहुंची। ऐसे में वह पत्नी को बाइक से लेकर अस्पताल पहुंचा। प्रसव के बाद मंगलवार की सुबह उसने जच्चा-बच्चा को घर ले जाने के लिए फिर से एंबुलेंस सेवा के लिए कॉल किया। करीब दो घंटे तक वह इंतजार करता रहा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नतीजतन बाइक से वह पत्नी व शिशु को लेकर घर के लिए रवाना हुआ। लोगों की पीड़ा
एंबुलेंस सेवाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता है। कॉल करने के बाद गाड़ी आने में तीन से पांच घंटे का समय लग जाता है। कभी कभार तो फोन करने के बाद भी गाड़ी नहीं आ पाती है। मरीज तड़पता रहता है।
-रवींद्र सिंह घर से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में गाड़ी खराब हो जाती है। इसके बाद मरीज एंबुलेंस में तड़पता रहता है। इस दौरान सूचना देने के बाद भी दूसरी गाड़ी नहीं पहुंचती है। इसकी वजह से लोगों को परेशानी होती है।
-टिकू तिवारी मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए जो एंबुलेंस की गाड़ियां हैं, वह खस्ता हाल में हैं। जिसकी वजह से इस सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे खटारा वाहनों में जान जोखिम में डालनी पड़ती है।
-उदयराज रात के समय मरीज को ले जाते समय रास्ते में खस्ता हाल गाड़ी खराब हो जाती है। इसकी वजह से मरीज व स्वजनों को परेशान होना पड़ता है। गाड़ी खराब होने के बाद दूसरी गाड़ी मौके पर नहीं पहुंचती है।
-राजकुमार सिंह