Move to Jagran APP

नाम के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, नहीं हैं किताबें, पठन-पाठन प्रभावित

गरीब बच्चों को भी कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा मिल सके इसके लिए गांव स्तर पर बने प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित किया गया। इन स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई कराने पर जोर दिया जा रहा है। बीआरसी चायल के 71 विद्यालयों में एक जूनियर समेत 16 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का दर्जा दिया गया है लेकिन अभी तक एक भी विद्यालय में किताबें नहीं पहुंची।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 11:48 PM (IST)
नाम के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, नहीं हैं किताबें, पठन-पाठन प्रभावित
नाम के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, नहीं हैं किताबें, पठन-पाठन प्रभावित

कौशांबी। गरीब बच्चों को भी कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा मिल सके, इसके लिए गांव स्तर पर बने प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित किया गया। इन स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई कराने पर जोर दिया जा रहा है। बीआरसी चायल के 71 विद्यालयों में एक जूनियर समेत 16 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का दर्जा दिया गया है, लेकिन अभी तक एक भी विद्यालय में किताबें नहीं पहुंची। जिससे बच्चों को पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है। शिक्षकों को भी बिना पुस्तक पढ़ाई कराना मुश्किल हो रहा है।

loksabha election banner

करीब पांच वर्षों पहले अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई पर विशेष जोर देते हुए अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की योजना बनाई गई। इस दौरान कक्षा एक से पांच तक व छह से आठ तक के जूनियर विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित किया गया। इन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की किताबें भी दी गई। बीआरसी चायल के प्राथमिक विद्यालय कसेंदा, प्राथमिक विद्यालय चायल, प्राथमिक विद्यालय कठरा, प्राथमिक विद्यालय बिलासपुर, प्राथमिक विद्यालय चौराडीह, प्राथमिक विद्यालय फरीदपुर सुलेम, प्राथमिक विद्यालय मनौरी, प्राथमिक विद्यालय चिल्ला शहबाजी, प्राथमिक विद्यालय मीरपुर, प्राथमिक विद्यालय सुधवर, प्राथमिक विद्यालय बलीपुर टाटा, प्राथमिक विद्यालय चरवा प्रथम, प्राथमिक विद्यालय चक बादशाहपुर, प्राथमिक व जूनियर विद्यालय रसूलाबाद उर्फ कोइलहा समेत 16 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का दर्जा दिया गया। कोरोना संक्रमण काल के दौरान बंद रहे विद्यालय अब खोल दिया गया है, लेकिन अभी तक इन विद्यालयों में एक भी पुस्तकें नहीं पहुंची। जिससे बच्चों का पाठ पाठन प्रभावित हो रहा है। बिना किताबों के अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करना बच्चों को मुश्किल हो रहा है। शिक्षकों भी पुस्तकों के बिना बच्चों को पढ़ाने में परेशानी हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.