प्रवासी कामगार जैविक खाद बनाकर होंगे आत्मनिर्भर
गरीब कल्याण योजना के तहत प्रवासी कामगारों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण गुरुवार को विकास खंड नेवादा में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमुख प्रतिनिधि धर्मेंद्र पांडेय ने प्रवासी प्रशिक्षणार्थियों को वर्मी कंपोस्ट विषय पर आधारित प्रमाणपत्र वितरित किया।
गरीब कल्याण योजना के तहत प्रवासी कामगारों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण गुरुवार को विकास खंड नेवादा में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमुख प्रतिनिधि धर्मेंद्र पांडेय ने प्रवासी प्रशिक्षणार्थियों को वर्मी कंपोस्ट विषय पर आधारित प्रमाणपत्र वितरित किया।
प्रशिक्षण के अंतिम दिन गुरुवार को कौशांबी के कृषि विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. नवीन शर्मा ने वर्मी कंपोस्ट के लागत, फायदे, मुनाफे के बारे में प्रवासी कामगार प्रशिक्षणार्थियों को बताया। कहा कि कृषि में रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से इसका दुष्परिणाम, मृदा स्वास्थ्य, मनुष्य एवं वातावरण के साथ कृषि उत्पादों पर भी पड़ रहा है। इसको रोकने के लिए शासन जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। वर्मी कंपोस्ट जैविक खेती में प्रमुख घटक बनकर उभरा है। जैविक खेती में केंचुआ खाद की मांग अधिक होने से यह एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीकी प्रशिक्षण लेकर प्रवासी कामगार इसका व्यवसाय शुरू कर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकते हैं। इस मौके पर भूपनाथ मिश्रा, चंदन सिंह, दिनेश सिंह, रणविजय सिंह, धनंजय सिंह, महेश पाल आदि प्रवासियों को प्रमाणपत्र वितरित किया।