मरहूम के चेहल्लुम में आयोजित हुई मजलिस
पूरामुफ्ती के मनौरी गांव स्थित पंचायती बड़ा इमामबाड़ा में रविवार को मरहूम हुजूर हसन के चेहल्लुम की मजलिस आयोजित हुई। सबसे पहले मजलिस की शुरुआत शोजख्वानी से की गई। शोजख्वानी शहंशाह हुसैन सोनवी ने पढ़ी। मजलिस को खेताब आली जनाब मौलाना सैयद वसीम असगर रिजवी बनारसी ने किया।
संसू, चायल : पूरामुफ्ती के मनौरी गांव स्थित पंचायती बड़ा इमामबाड़ा में रविवार को मरहूम हुजूर हसन के चेहल्लुम की मजलिस आयोजित हुई। सबसे पहले मजलिस की शुरुआत शोजख्वानी से की गई। शोजख्वानी शहंशाह हुसैन सोनवी ने पढ़ी। मजलिस को खेताब आली जनाब मौलाना सैयद वसीम असगर रिजवी बनारसी ने किया।
मजलिस के दौरान मौलाना ने पढ़ा कि इमाम हुसैन के अजीम इंकेलाब करबला से पहले अरब के मुसलमानों का इतना गिर गया था कि कोई भी मजलूमों की मदद करने वाला नहीं था, लेकिन इंकेलाब ए हुसैनी के बाद इंसान को बेदार कर दिया। आज पूरी दुनिया में जुल्म के खिलाफ आवाज उठने का असर सिर्फ इंकेलाब ए हुसैनी का ही नतीजा है। मसायब बयान करते हुए मौलाना ने पढ़ा कि इमाम हुसैन के बड़े बेटे सैयदे सज्जाद के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डालकर हुसैन की चार साल की बेटी सकीना के कानों से बालियां खींच ली गई थीं। इस दौरान बच्ची तड़प कर रोई तो जालिमों ने उसे और तमाचे मारे। वह रोती रही जालिम कहर बरपाते रहे। बाद में औरतों और बच्चों को रस्सियों में जकड़ दिया गया। कर्बला में न इमाम हुसैन का शव दफन हुआ और न ही इमाम का तीजा हुआ। मजलिस के बाद नौहख्वानी की गई, जिसमे अंजुमन ए सदका एक जहरा करारी ने नौहा-मातम का नजराना पेश किया। जनानी मजलिस को मोहतरमा सना रिजवी करारवी ने खेताब किया।