रजबहों की सफाई में खानापूर्ति, कैसे मिले पानी
विकास खंड नेवादा के चार दर्जन से अधिक गांवों के खेत तो नहर के किनारे हैं लेकिन उनको साल में एक या दो बार ही पानी मिल पाता है। सफाई कार्य में लापरवाही के कारण नहरें साल के अधिकांश समय सूखी ही रहती हैं। किसान इन छोटी-बड़ी नहरों को आशा भरी निगाह से देखता है लेकिन बाद में उसे निजी नलकूप के सहारे की फसल उगानी पड़ती है। सिल्ट के नाम पर यहां केवल कोरम पूरा किया जाता है। जिससे क्षेत्र की कृषि प्रभावित हो रही है। कभी पानी आया तो सफाई न होने से पटरियां तक टूट जाती हैं ऐसे में किसानों को लाभ के स्थान पर यह नहर मुसीबत ही देती है।
कसेंदा : विकास खंड नेवादा के चार दर्जन से अधिक गांवों के खेत तो नहर के किनारे हैं, लेकिन उनको साल में एक या दो बार ही पानी मिल पाता है। सफाई कार्य में लापरवाही के कारण नहरें साल के अधिकांश समय सूखी ही रहती हैं। किसान इन छोटी-बड़ी नहरों को आशा भरी निगाह से देखता है, लेकिन बाद में उसे निजी नलकूप के सहारे की फसल उगानी पड़ती है। सिल्ट के नाम पर यहां केवल कोरम पूरा किया जाता है। जिससे क्षेत्र की कृषि प्रभावित हो रही है। कभी पानी आया तो सफाई न होने से पटरियां तक टूट जाती हैं, ऐसे में किसानों को लाभ के स्थान पर यह नहर मुसीबत ही देती है।
किसानों को सस्ती व सुविधा जनक सिचाई के लिए यमुना तराई क्षेत्र में रजबहों का जाल बिछाया गया है। इनकी समय- समय पर सिल्ट सफाई की योजना भी बनती है, लेकिन पंप कैनाल से पानी छोड़ने के बाद भी नहरों की सफाई नहीं होती। जिससे टेल तक पानी नहीं पहुंचता। किसान पानी आने की प्रतीक्षा की करता रहता है। बाद में उसे मजबूर होकर निज नलकूप का सहारा लेना पड़ता है। नेवादा ब्लाक क्षेत्र में तिलहापुर से असरावल जाने वाली माइनर से जुड़ी लोधउर से तिलगोड़ी, उस्मानपुर से कुंडारी, सेंहुढा से नूरपुर, लोधउर से रेही आदी गांव की सैकड़ो एकड़ भूमि की सिचाई नहर के भरोसे हैं। इस नहर में किशुनपुर एकडला पंप कैनाल से पानी आता है। कुंडारी के रोशन लाल, छोटे लाल, सेंवढ़ा के ननकू लाल, भरतलाल, रामप्रसाद, नूरपुर हाजीपुर निवासी अनिरुद्ध उपाध्याय, शिवकुमार, शिवसागर, रेही के हसमुख, मनोज, मकदूमपुर के रामप्रसाद, तियरा के राकेश कुमार, ज्ञान सिंह यादव, लोधउर के छोटे लाल, नन्हेंलाल आदि ने बताया की रबी की फसलों की चौथी अंतिम सिचाई करने का समय आ चुका है। अभी तक तिल्हपुर से असरावल माइनर में पानी नहीं पहुंचा। इतना ही नहीं इन दिनों माइनर की सील्ट सफाई कार्य शुरू किया गया है। जिसमें महज खाना पूर्ति की जा रही है। इससे नहर में पानी आने पर नहर की पटरियां टूटने का डर बना है। कई बार नहर के किनारे रही खेती जलमग्न हो चुकी है। पानी न आने से किसान निजी नलकूपों की सिचाई की तैयारी में हैं।