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अग्निशमन यंत्र रिफिलिग में घोटाले की जांच शुरू

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सुरक्षित रहे। आगजनी व अन्य घटना होने पर स्कूल के शिक्षक त्वरित कदम उठा सके। इसके लिए परिषदीय स्कूलों में दो-दो अग्निशमन यंत्र खरीदा गए हैं। सालों से लगे फायर सीज का प्रयोग नहीं हुआ तो उनकी गैस अपने आप निकल गई। बेसिक शिक्षा विभाग में इन फायर सीज के रिफिलिग के नाम पर नौ लाख रुपये खर्च किए है। अधिकतर सिलेंडरों में रिफिलिग नहीं की गई। इस प्रकरण को दैनिक जागरण ने अपने बुधवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसे गंभीरता से लेने के बाद डीएम ने जांच शुरू करा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 11:08 PM (IST)
अग्निशमन यंत्र रिफिलिग में घोटाले की जांच शुरू
अग्निशमन यंत्र रिफिलिग में घोटाले की जांच शुरू

जासं, कौशांबी : स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सुरक्षित रहे। आगजनी व अन्य घटना होने पर स्कूल के शिक्षक त्वरित कदम उठा सके। इसके लिए परिषदीय स्कूलों में दो-दो अग्निशमन यंत्र खरीदा गए हैं। सालों से लगे फायर सीज का प्रयोग नहीं हुआ तो उनकी गैस अपने आप निकल गई। बेसिक शिक्षा विभाग में इन फायर सीज के रिफिलिग के नाम पर नौ लाख रुपये खर्च किए है। अधिकतर सिलेंडरों में रिफिलिग नहीं की गई। इस प्रकरण को दैनिक जागरण ने अपने बुधवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसे गंभीरता से लेने के बाद डीएम ने जांच शुरू करा दिया है।

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जिले में 1410 प्राथमिक व जूनियर परिषदीय स्कूल हैं। प्रत्येक विद्यालय में दो-दो अग्निशमन यंत्र दिया गया था। इसका उद्देश्य था कि स्कूल में एमडीएम बनता है। इस दौरान किसी प्रकार की घटना होती है तो स्कूल प्राथमिक स्तर पर अपने आप आग पर काबू पा सके। हालांकि जिले के किसी भी स्कूल में इसकी जरुरत नहीं पड़ी। करीब एक दशक पहले खरीदे गए इन यंत्रों की गैस अपने आप ही समाप्त हो गई। डीएम के निर्देश गुजरात की घटना के बाद अग्निशमन अधिकारी ने स्कूलों की जांच की तो स्पष्ट हुआ कि सिलिडरों में गैस ही नहीं है। ऐसे में इन अग्निशमन यंत्र की रिफिलिग के लिए बीएसए कार्यालय से निर्देश जारी किया गया। सभी स्कूलों ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत मिले कंपोजिट ग्रांट मद से सिलिडरों की रिफिलिग करा दिया और इसका भुगतान कर बिल भी भेज दिया, लेकिन हकीकत कुछ और है। स्कूलों ने जिस कंपनी से सिलिडर रिफिलिग कराया। उसने केवल सिलिडर में रंग रोगजन करने के बाद गैस सिफलिग का स्टीकर लगा दिया। बिना गैस डाले ही भुगतान कर लिया। इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके आधार पर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने प्रकरण की जांच शुरू करा दी है। डीएम ने बेसिक शिक्षाधिकारी को पूरे प्रकरण की जांच कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।


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