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ढाई माह में नहीं पूरी हुई सीएमओ कार्यालय से हुए घोटाले की जांच, डीएम ने गठित किया मजिस्ट्रेटी टीम

स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सीएमओ कार्यालय सीएससी व पीएचसी से बगैर निविदा के एक करोड़ 34 लाख की धनराशि भुगतान एक वर्ष पहले फर्मों को किया गया। अनियमित तरीके से खर्च की गई धनराशि की रिपोर्ट आडिटर मेसर्स केवी सक्सेना एडं एसोसिएट्स कास्ट अकाउंटेंट लखनऊ ने पूर्व में एनएचएम के मिशन निदेशक अर्पणा उपाध्याय को दिया। निदेशक के निर्देश डीएम ने ढाई माह पूर्व मामले की जांच करने के लिए मजिस्ट्रेटी टीम का गठन किया था लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 12:25 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 12:25 AM (IST)
ढाई माह में नहीं पूरी हुई सीएमओ कार्यालय से हुए घोटाले की जांच, डीएम ने गठित किया मजिस्ट्रेटी टीम
ढाई माह में नहीं पूरी हुई सीएमओ कार्यालय से हुए घोटाले की जांच, डीएम ने गठित किया मजिस्ट्रेटी टीम

कौशांबी। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सीएमओ कार्यालय, सीएससी व पीएचसी से बगैर निविदा के एक करोड़ 34 लाख की धनराशि भुगतान एक वर्ष पहले फर्मों को किया गया। अनियमित तरीके से खर्च की गई धनराशि की रिपोर्ट आडिटर मेसर्स केवी सक्सेना एडं एसोसिएट्स कास्ट अकाउंटेंट लखनऊ ने पूर्व में एनएचएम के मिशन निदेशक अर्पणा उपाध्याय को दिया। निदेशक के निर्देश डीएम ने ढाई माह पूर्व मामले की जांच करने के लिए मजिस्ट्रेटी टीम का गठन किया था, लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है।

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जनपद वासियों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। आरोप है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर भेजी गई धनराशि को जिम्मेदारों ने अनियमित तरीके से खर्च किया है। वर्ष 2019-20 में सीएमओ कार्यालय, सीएचसी व पीएचसी से बगैर टेंडर के ही। एक करोड़ 34 लाख रुपये स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर खर्च कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई गड़बड़ी की रिपोर्ट आडिटर मेसर्स केवी सक्सेना एडं एसोसिएटस कास्ट अकाउंटेंट लखनऊ ने एनएचएम के मिशन निदेशक अर्पणा उपाध्याय को दिया था। रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि सीएमओ कार्यालय से निविदा प्रक्रिया के माध्यम से फार्म के चयन में गड़बड़ी की गई है। सप्लाई के लिए नया टेंडर नहीं किया गया। पहले से कार्य कर रहे शिवम इंटरप्राइजेज का नवीनीकरण कर दिया गया। इनके द्वारा जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। उन्हें निर्धारित वेतन नहीं दिया गया। इसके अलावा सीएमओ कार्यालय से संबंधित कर्मचारियों का प्रमाण पत्र व अभिलेख आडिट के दौरान दिखाया गया। साथ ही आरबीएसके के तहत किराए पर लिए गए वाहनों के अभिलेख आरसी, बीमा व फिटनेस जैसे प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। सीएमओ कार्यालय द्वारा बिना निविदा के ही 18 फर्मों को एक करोड़ 34 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। कोटेशन, टेंडर, जिम व बिडिग से संबंधित प्रपत्र भी अडिट के लिए नहीं दिए गए। टेंडर में प्रतिभाग करने वाली फार्म की विड, बिल, के अभाव में क्रय समिति से अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया था। नियमानुसार 10 लाख से अधिक टेंडरों की प्रक्रिया एवं वैधता का कांटेंट आडिट से परीक्षण कराकर ही करना चाहिए, लेकिन सीएमओ कार्यालय द्वारा इसका पालन नहीं किया गया। नई गाइडलाइन के अनुसार खरीद जीएम पोर्टल के माध्यम से की जानी चाहिए लेकिन इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। आडिट टीम की रिपोर्ट के आधार पर एनएचएम के मिशन निदेशक ने पूरे प्रकरण की जांच जिलाधिकारी को सौंपी थी। डीएम सुजीत कुमार ने इस मामले की जांच के लिए जुलाई माह में एडीएम न्यायिक डा. विश्राम की अगुवाई में प्रकरण की जांच तीन सदस्यीय टीम गठित किया है। जिलाधिकारी ने सीएमओ कार्यालय से अभिलेख मांगा कर जांच शुरू कि लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। इस संबंध में एडीएम न्यायिक का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से वर्ष 2020-21 में खर्च किए गए 1.34 करोड़ के अभिलेख मांगा कर जांच की जा रही है। जल्द ही जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।


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