पशुओं के नस्ल में सुधार लाकर बढ़ाएं दुग्ध उत्पादन
मूरतगंज कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक कोरोना काल में भी आनलाइन किसानों व पशुपालकों क
मूरतगंज : कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक कोरोना काल में भी आनलाइन किसानों व पशुपालकों को जागरूक कर रहे हैं। मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर भारत अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पशुपालकों के बीच ऑनलाइन गोष्ठी आयोजित हुई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए केंद्र के प्रमुख डा. अजय कुमार ने बताया कि दुग्ध एक महत्वपूर्ण आहार है। इससे शरीर के लिए जरूरी विटामिन, खनिज व अन्य तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। शारीरिक वृद्धि, प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि और हड्डियों को मजबूत बनाता है। बच्चों से लेकर उम्रदराज लोगों के लिए दुग्ध अति आवश्यक आहार है। इसलिए इसे ग्लोबल आहार की मान्यता दी गई है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी पाठक ने जनपद में चल रही पशु योजनाओं पर चर्चा की। कहा कि कृषि के साथ पशुपालन कर लोग अच्छी आमदनी उठा सकते हैं। जरूरत है। पशुओं की नस्ल में सुधार लाना जरूरी है। इसके लिए पशुपालन विभाग की ओर से अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने पशु को संरक्षण, नस्ल सुधार, टीकाकरण व छोटे पशुपालकों को पशु के सीसी, मुर्गी पालन ,शुगर पालन आदि योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। जनपद के दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में अग्रणी ब्लॉक कड़ा व अझुवा के डॉक्टर रोहित कुमार सोनी ने पशुपालक किसानों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन की तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया भारत पशु संख्या व दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान है, लेकिन सेवन में 300 ग्राम प्रति व्यक्ति की दर से दुग्ध के अनुपात में केवल 250 ग्राम दुग्ध ही एक व्यक्ति को मिल पाता है। उन्होंने पशुओं की बीमारी से जुड़ी जानकारी भी दी। केंद्र के पशुपालक विशेषज्ञ डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव ने पशुपालकों को बताया कि बेहतर उत्पादन के लिए अच्छे चारे की व्यवस्था अति आवश्यक है। जिसमें हरा व सूखे चारे का अनुपात 60:40 का होना चाहिए। उन्होंने पशुओं के लिए चरी, बाजरा, अजोला और नेपियर घास का प्रयोग और इसके पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी किसानों को को दी। ऑनलाइन गोष्ठी में केंद्र के वैज्ञानिकों समेत अनिल, अरविंद समेत कई किसान शामिल हुए।