मैंने गंगा पार कराई, आप भवसागर पार करा देना
केवट ने श्रीराम-लक्ष्मण सीता को गंगा पार उतारता है। राघव जब नाव की उतारवाई देने लगे तो केवट ने कहा कि मैंने गंगा पार कराई आप भवसागर पार करा देना। यह सुनकर प्रभु मुस्कुराए और आगे चल दिए।
संसू, करारी : केवट ने श्रीराम-लक्ष्मण, सीता को गंगा पार उतारता है। राघव जब नाव की उतारवाई देने लगे तो केवट ने कहा कि मैंने गंगा पार कराई, आप भवसागर पार करा देना। यह सुनकर प्रभु मुस्कुराए और आगे चल दिए।
नगर पंचायत करारी की ऐतिहासिक रामलीला के रंगमंच पर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण को रथ पर बैठाकर गंगा के समीप पहुंचते हैं। वहां पर उनकी भेंट निषादराज से होती है। श्रीराम से सारा वृतांत सुनाकर गंगा पार के लिए निवेदन करते हैं, जो केवट को आवाज लगाते हैं। केवट कहता है कि मैं अपनी नैया में प्रभु अब न बैठाऊंगा। राम पूछे रहे है क्यों, केवट कहते है कि प्रभु आपके चरणों से पत्थर की शिला नारी बन गई थी, मेरी नाव भी नारी ना बन जाए। वह श्रीराम के चरणों को धोने के लिए कहता है, तभी नाव में बिठाऊंगा इस प्रकार केवट भगवान के चरण धोता है। चरण धोकर नाव में श्रीराम लक्ष्मण, सीता का बैठाता है। गंगा पार के बाद श्रीराम लक्ष्मण, सीता चित्रकूट में जाकर डेरा डाल देते है। वहां वह कुटिया बनाकर रहना शुरू कर देते हैं। अयोध्या के राजमहल में राजा दशरथ अचेत अवस्था में पड़े हुए हैं। सुमंत जी वापस अयोध्या लौट आते है। राजा दशरथ श्रीराम-लक्ष्मण, सीता के बारे में वापस आने के बारे में जानकारी लेते है आखिर में वह पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग देते है। नानिहाल से सूचना देकर भरत-शत्रुघ्न को सूचना देकर बुलाया गया। अयोध्या में भरत को रानी कैकेई से सारा वृतांत सुनते हैं। जिसके बाद भरत श्रीराम को अयोध्या वापस लाए जाने के लिए गुरू वशिष्ठ से विचार विमर्श किया जाता है। भरत-शत्रुघ्न गुरु वशिष्ठ के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं। श्रीराम व भरत गले मिलते हैं, और सारा वृतांत श्रीराम को बताया जाता है। भरत श्रीराम को अयोध्या पहुंचने के लिए आग्रह किया जाता है। श्रीराम पिता के वचनों के खातिर अयोध्या जाने से मना कर देते हैं। भरत श्रीराम की खड़ाऊ सिर पर रखकर अयोध्या की ओर रवाना होते हैं। अहिल्या का उद्धार कर फुलवारी पहुंचे राम के सीता ने किए प्रथम दर्शन
भरवारी रामलीला
संसू, भरवारी : पुरानी बाजार भरवारी में हो रहे रामलीला में कलाकारों द्वारा अहिल्या उद्धार, नगर दर्शन व फुलवारी का बड़ा ही रोचक मंचन किया गया। अहिल्या अपने पति गौतम के शाप से जड़ हो जाती है। मुनि विश्वामित्र के साथ जाते वक्त रास्ते में भगवान राम महिला की मूर्ति की तरह जमीन पर पड़े पत्थर के विषय मे पूछते है जिस पर विश्वामित्र कहते हैं कि अहिल्या आप के चरणों के स्पर्श से ही शाप के प्रभाव से मुक्ति होगी। ऐसा सुनकर राम अपने चरण स्पर्श से उसे शाप से मुक्त कर उसे पति के यहां भेज देते हैं इसके बाद राम व लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ जनकपुर दर्शन को जाते हैं। विश्वामित्र के आदेश पर पूजा के लिए पुष्प लाने के लिए जनक फुलवारी पहुंच जाते हैं तथा यहीं पर फुलवारी में आई जनकनंदिनी सीता जी से सामना होता है। राम संकेत में लक्ष्मण को बताते हैं कि यह जनक पुत्री हैं जिनका स्वयंवर रचा गया है। जनकपुत्री सीता भी राम की तरफ देखते ही आकर्षित होकर निहारने लगीं।अब सत्य होने के करीब है।