धरा पर आई बागवानी, बढ़ रही आय
किसान अब पारंपरिक से दूर हो रहे हैं। धान गेहूं व बाजरे की फसल से अच्छी आय ने होने से सिराथू विकास खंड के किसानों ने अपना रुझान अब बागवानी की ओर कर लिया है। पिछले एक दशक में यहां बागवानी का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया है। उद्यान विभाग के आम अमरूद आंवला बेर नींबू पपीते की बागवानी कर किसान अपनी आर्थिक स्थित मजबूत कर रहे हैं। बागवानी को बढ़ावा देने वाले किसानों की मदद उद्यान विभाग कर रहा है।
शैलेंद्र द्विवेदी , कौशांबी : किसान अब पारंपरिक से दूर हो रहे हैं। धान, गेहूं व बाजरे की फसल से अच्छी आय ने होने से सिराथू विकास खंड के किसानों ने अपना रुझान अब बागवानी की ओर कर लिया है। पिछले एक दशक में यहां बागवानी का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया है। उद्यान विभाग के आम, अमरूद, आंवला, बेर, नींबू, पपीते की बागवानी कर किसान अपनी आर्थिक स्थित मजबूत कर रहे हैं। बागवानी को बढ़ावा देने वाले किसानों की मदद उद्यान विभाग कर रहा है।
जिले का सबसे बड़ा ब्लाक सिराथू है। इस विकास खंड क्षेत्र में आबादी अधिक है। ब्लाक क्षेत्र में 45740 किसान हैं। इनमें से 27379 का पंजीकरण किया गया है। उद्यान विभाग के आंकड़ों के अनुसार 10 साल पहले सिराथू क्षेत्र में पांच फीसदी भू-भाग में बागवानी होती थी, जो बढ़कर 12 फीसदी तक पहुंच गई है।यहां के किसान अब पारंपरिक खेती से ऊब चुके है और धीरे-धीरे कम कर रहे हैं। उनको अब धान, गेहूं, बाजरे की फसल लाभकारी नहीं दिख रही। ऐसे में किसानों ने परंपरागत खेती को धीरे-धीरे कम कर नकदीय फसलें और बागवानी को अपनाना शुरू कर दिया है। ब्लाक क्षेत्र के चारों ओर बड़ी बाजार है। ऐसे में किसानों को बेहतर लाभ मिल रहा। शहरों को जोड़ने के लिए यहां सड़कों को जाल भी खेती की गतिविधियों में बढ़ावा देने में सहायक है। विकास खंड सिराथू में 425 हेक्टेयर में आम की बागवानी, 85 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद, 25 हेक्टेयर पर आंवला, 22 हेक्टेयर बेर, 195 हेक्टेयर नींबू, 15 हेक्टेयर में पपीते की खेती हो रही है। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट, केले व सब्जियों की खेती भी किसान कर रहे हैं। सेलरहा गांव के शिवनरेश सिंह, लच्छीपुर के राम प्रकाश व मलाक सद्दी के हरिशचंद चौरसिया ने बताया कि परंपरागत खेती से आय कम होनी थी। इसकी वजह से नींबू व आम की बागवानी कर लिए है। एक बीघे की आम की बागवानी से लगभग 40 हजार रुपये की आय होती है।
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ड्रैगन फ्रूड की खेती भी लाभ दायक
बदलते दौर में किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूड की खेती भी लाभ दायक शाबित हो रही है किसान बब्लू मौर्य, संदीप कुशवाहा बताया कि बताया कि पिछले दो वर्ष से ड्रैगन फ्रूड की खेती कर रहे हैं। इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है।
सब्जियों की खेती है बेहतर विकल्प कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. मनोज सिंह ने बताया कि समय के साथ परिवर्तन करने में ही किसानों की भलाई है। पहले शाक-भाजी की फसल कम तैयार करते थे, लेकिन इन दिनों सब्जी व मसालों की मांग बढ़ गई है। सब्जी की खेती कर किसान अधिक लाभ काम रहे है। धान, गेहूं आदि को तैयार करने के बाद बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। वहीं सब्जी आसानी से तैयार हो जाती है। दूसरी ओर सब्जियों की खेती में उनको तोड़ने के बाद सीधे बाजार भेजना पड़ता है। छोटे किसानों के लिए सब्जी की खेती भी लाभकारी है। कृषि क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहा है। अन्य बदलाव के साथ किसानी में भी बदलाव का दौर है। आज से कुछ सालों तक जिन फसलों के खरीदार कम थे, उनकी मांग बढ़ने लगी है। धान व गेहूं की फसल केवल अपने उपयोग के लिए किया जा रहा है। अन्य खेतों में आंवले की बाग तैयार की है। इससे अच्छी आए हो रही है।
भगवत प्रसाद अब नए व पढ़े लिखे युवक खेती की कमान संभाल रहे हैं। ऐसे में तकनीकी में बदलाव लगातार हो रहे हैं। जिन खेतों में कभी कुछ पैदा नहीं होता था। वहां बागवानी तैयार हो गई है। बागवानी से बंजर व ऊसर भूमि में सुधार हो रहा है। आय बढ़ने के साथ आर्थिक स्थिति में बदलाव हो रहा है।
दीपक कुमार धान व गेहूं का उत्पादन करने में अब किसान को लाभ नहीं रहा। इसके स्थान पर बागवानी, सब्जी व अन्य तरीके से खेती अपना लिए हैं। बढ़ रही महंगाई में यदि किसानों को बेहतर रहना है तो उसके लिए लाभ के विकल्प तलाशना होगा। तीन बीघे नीबू की बागवानी की है। इससे अच्छी आमदनी हो रही है।
देशराज अब धान, गेहूं, बाजरे की फसल लाभकारी नहीं दिख रही। ऐसे में किसानों ने परंपरागत खेती को धीरे-धीरे कम कर नकदीय फसलें और बागवानी शुरू कर दिया है। दो बीघे नीबू की बाग तैयार है। इससे एक वर्ष में 75 हजार रुपये की आमदनी होती है।
उमेश कुमार