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गोबर से बनेगा गो-काष्ठ, गोशालाओं में होगी आय

जनपद की गोशाला और बेसहारा पशु आश्रय स्थल में गोवंश के गोबर से गो-काष्ठ बनाने की तैयारी चल रही है। इससे इधर-उधर फेंका जाने वाले गोबर की समस्या का समाधान हो जाएगा। साथ ही रोजगार का सृजन होगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 06:29 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:29 AM (IST)
गोबर से बनेगा गो-काष्ठ, गोशालाओं में होगी आय
गोबर से बनेगा गो-काष्ठ, गोशालाओं में होगी आय

कौशांबी : जनपद की गोशाला और बेसहारा पशु आश्रय स्थल में गोवंश के गोबर से गो-काष्ठ बनाने की तैयारी चल रही है। इससे इधर-उधर फेंका जाने वाले गोबर की समस्या का समाधान हो जाएगा। साथ ही रोजगार का सृजन होगा। गोशालाओं में आय भी होगी। गो-काष्ठ बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। प्रथम चरण में दो वृहद गोसंरक्षण केंद्र व दो कान्हा गोशाला में मशीन लगाकर गो-काष्ठ बनाया जाएगा। इसका इस्तेमाल ईट-भट्ठों और अंत्येष्टि में होगा।

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पर्यावरण के संरक्षण व गोशालाओं की आय बढ़ाने के लिए वृहद गोशाला में गोबर से गो-काष्ठ तैयार होगा। पशुपालन विभाग की मानें तो एक घंटे में दो कुंतल लकड़ी तैयार होगी। इससे न केवल गोशाला की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। प्रथम चरण में वृहद गोसंरक्षण कादिरा बाद, मलाका, कन्हा गोशाला करारी व अजुहा में गोबर से काष्ठ बनाने का कार्य शुरू होगा। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि 60-60 हजार रुपये की कीमत की दो मशीनें खरीद की गई है। जल्द ही वृहद गोसंरक्षण कादिरा बाद व मलाका में गोबर से काष्ठ बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके बाद अन्य गोशालाओं में ये व्यवस्था होगी।

पर्यावरण में नहीं फैलेगा प्रदूषण

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी पाठक ने बताया कि अन्य जनपदों की गोशालाओं व बड़े डेयरी फार्म में मशीन से गोशालाओं में गोबर के जरिए काष्ठ बनाया जा रहा है। श्मशान घाटों में गोबर की लकड़ी से चिता जलाई जा रही हैं। ईंट-भट्ठों में भी इसका प्रयोग होता है। दूसरे ईंधन की तुलना में इसे प्राथमिकता देते हैं। गोबर की काष्ठ को जलाने में इस्तेमाल करने से पेड़ों को कटने से बचा सकते हैं। इसका धुआं कम नुकसानदायक है।


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