सरकारें बदली पर नहीं बदली पीतल नगरी की तकदीर
सिराथू विधान क्षेत्र का शमशाबाद अभी पीतल नगरी के नाम से मशहूर था। बर्तन के कारोबार से यहां के अधिकतर परिवारों का जीवन यापन होता था। बर्तन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की आधारशिला रखी थी लेकिन बदलते वक्त और सिस्टम की उपेक्षा से आज पीतल के उद्योग खत्म होने की कगार पर है। इसकी वजह से बर्तन बनाने वाले कारीगर मजदूरी करने को मजबूर हैं।
जासं, कौशांबी : सिराथू विधान क्षेत्र का शमशाबाद अभी पीतल नगरी के नाम से मशहूर था। बर्तन के कारोबार से यहां के अधिकतर परिवारों का जीवन यापन होता था। बर्तन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की आधारशिला रखी थी, लेकिन बदलते वक्त और सिस्टम की उपेक्षा से आज पीतल के उद्योग खत्म होने की कगार पर है। इसकी वजह से बर्तन बनाने वाले कारीगर मजदूरी करने को मजबूर हैं।
विधानसभा सिराथू क्षेत्र का शमशाबाद मिनी मुरादाबाद के नाम से जाना जाता था, लेकिन बदलते वक्त और सिस्टम की उपेक्षा से आज यहां के पीतल के उद्योग बंद होने के कगार पर है। ग्राम प्रधान राजेश कसेरा ने बताया कि पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहा पीतल उद्योग बर्तन निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की आधारशिला रखी थी। इसके बाद कारोबार को बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया गया। सुविधा व धनाभाव के चलते बर्तन से जुड़े अधिकतर कारोबारी यहां से पलायन कर गए। कुछ लोग इस कारोबार को बंद कर दूसरा काम शुरू कर दिए हैं।
बंद हो गए कई कारखाने
पीतल नगरी के नाम से मशहूर शमशाबाद में तीन दशक पूर्व 125 कारखाने थे। बर्तन बनने के बाद दूसरे शहरों व प्रांतों में जाता था। बर्तन उद्योग में मुरादाबाद के बाद दूसरा नंबर शमशाबाद का आता था। आज बर्तन व्यवसाय प्रशासनिक उपेक्षा के कारण महज 10 प्रतिशत से कम रह गया है। कारीगरों के अनुसार स्टील के कारखानों को जहां करोड़ों का लोन मिलता है। वहीं, पीतल और गिलट का बर्तन बनाने वालों को बैंक लाखों का लोन देने को तैयार नहीं है। इसके पीछे हमारे जनप्रतिनिधि सबसे बड़े जिम्मेदार है। शिकायत के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी व जन प्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। आदर्श गांव होने के बाद भी नहीं मिली सुविधा
पीतल नगरी का विकास को विकसित 2014 में बीजेपी के सांसद ने इसे गोद लेकर संवारने की कोशिश की, पर लोगों का आरोप है कि सांसद के प्रयास उनके लिए अब भी नाकाफी है।
पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। नेशनल स्माल इंट्राशन कारपोरेशन द्वारा सर्वे कराकर कारोबारियों को ऋण व अन्य सुविधा देने के लिए फार्म भी उपलब्ध कराया गया था, लेकिन कारोबारी आगे नहीं आए। जो लोग कारोबार कर रहे है या करना चाहते हैं। उनकी सुविधा के लिए जल्द बैंकों की ओर से शमसाबाद में कैंप लगाया जाएगा।
विनोद सोनकर, सांसद