मिला सम्मान तो माताओं की छलक आई आंखें
जासं कौशांबी भगवान के बाद मां ही है जो नया जीवन देती है। नौ माह गर्भ में बच्चे को बिना देखे प्यार करती है। जीवन दांव पर लगाकर जन्म देती है। और वहीं बच्चे जिम्मेदार होने पर माता पिता को बेघर कर देते हैं। मंझनपुर के वृद्धा आश्रम में इन्हीं माताओं को सम्मान मिला तो आंखें छलक आई। अधीक्षक ने माला पहनाकर सभी माताओं से आशीर्वाद लिया।
जासं, कौशांबी : भगवान के बाद मां ही है जो नया जीवन देती है। नौ माह गर्भ में बच्चे को बिना देखे प्यार करती है। जीवन दांव पर लगाकर जन्म देती है। और वहीं बच्चे जिम्मेदार होने पर माता पिता को बेघर कर देते हैं। मंझनपुर के वृद्धा आश्रम में इन्हीं माताओं को सम्मान मिला तो आंखें छलक आई। अधीक्षक ने माला पहनाकर सभी माताओं से आशीर्वाद लिया।
वृद्धा आश्रम में करीब एक दर्जन महिलाएं हैं। भरा पूरा परिवार होने के बाद भी उनको अपनों ने नकार दिया। घर से दूर रहकर वह अपनों को तो याद करती हैं लेकिन किसी से कुछ नहीं कहती हैं। गाहे बगाहे भी कोई उनसे मिलने नहीं आता। ऐसे में मदर्स डे के दिन वृद्धाश्रम अधीक्षक आलोक राय ने मदर्स डे पर महिलाओं का सम्मान किया। उन्होंने पहले उनका माला पहनाया और फिर मिठाई खिलाई। सम्मान मिलने से माताओं का मन पुलकित हो गया। उन्होंने बताया कि हर माता का सम्मान करना हमारी संस्कृति है। हर व्यक्ति को माता पिता का सम्मान करना चाहिए। इसी लिए मनाया जाता है खास दिन
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मा की पूजा का रिवाज पुराने ग्रीस से आरंभ हुआ। स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मा थीं, उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता था।
इन्होंने मनाया था सबसे पहले मदर्स डे
सबसे पहले अमेरिका में प्रोक्लॉमेशन जुलिया वॉर्ड होवे ने मदर डे मनाया था। तभी से मई का दूसरा रविवार मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है।