दो दशक से सूखे पड़े नेवादा विकास खंड के पांच रजबहे
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार हर वाजिब सुविधा देने का दावा भले ही कर रही है लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के धरातल में कुछ और ही है। फसलों की सिचाई के लिए जिले में नहरों का जाल बिझाया गया है लेकिन कई नहरों में दशकों से पानी नहीं पहुंचा है। विकास खंड नेवादा के तिल्हापुर असरावल बड़ी माइनर से जुड़े पांच रजबहों की सिल्ट सफाई न होने से सिंचाई क्षेत्रफल कम हो गया। किसान मजबूरी में अपने संसाधनों से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। किसानों की समस्या को सुनने और देखने वाला कोई नहीं है। दैनिक जागरण के समाचारीय अभियान में यह तस्वीर सामने आई है
कसेंदा : किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार हर वाजिब सुविधा देने का दावा भले ही कर रही है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के धरातल में कुछ और ही है। फसलों की सिचाई के लिए जिले में नहरों का जाल बिझाया गया है, लेकिन कई नहरों में दशकों से पानी नहीं पहुंचा है। विकास खंड नेवादा के तिल्हापुर असरावल बड़ी माइनर से जुड़े पांच रजबहों की सिल्ट सफाई न होने से सिंचाई क्षेत्रफल कम हो गया। किसान मजबूरी में अपने संसाधनों से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। किसानों की समस्या को सुनने और देखने वाला कोई नहीं है। दैनिक जागरण के समाचारीय अभियान में यह तस्वीर सामने आई है।
कहने के लिए तो विकास खंड नेवादा क्षेत्र में नहरों का जाल बिछाया गया है। मुख्य नहरों को छोड़कर रजबहों की न तो दो दशक से सफाई हुई है और न ही पानी छोड़ा जाता है। नूरपुर हाजीपुर के राजेंद्र प्रसाद, शिवसागर, तोता राम, बलहेपुर गांव के योगेंद्र सिंह यादव, मंजीत सिंह, गुड्डू, रेही के श्रीचंद्र, मनोज, हसमुख, रसूलपुर ब्यूर के परसोतन, केदारनाथ, लोधउर के अंकित, जगदीश, तिलगोड़ी के फूलचंद्र, महेन्द्र सिंह, कृष्णा प्रसाद ने बताया की विकास खंड नेवादा के तिल्हपुर से असरावल माइनर में फतेहपुर जनपद के किशुनपुर पंप कैनाल से पानी की सप्लाई होती है। तिल्हपुर से असरावल तक बड़ी नहर लगभग 10 किमी माइनर की सफाई कराकर साल में एक बार ही पानी छोड़ा जाता है। सफाई में खाना पूर्ति होने के चलते बेसीजन छोड़े गए पानी में कई बीघा फसल डूबने से नष्ट हो जाती है। इतना ही नहीं बड़ी नहर से जुड़ी सेंवथा से दुर्गापुर होते हुए रसूलपुर ब्यूर, दूलापुर से रेही बलहेपुर, लोधउर से बरेठी तिलगोड़ी, लोधउर से नूरपुर हाजीपुर रेही, दूलापुर से रेही बलहेपुर, लोधउर से कोटिया अमिरसा आदि नहरों की सफाई दो दशकों से नहीं कराई गई है। साथ ही पानी भी यहां तक नहीं पहुंचता जिसके चलते क्षेत्रीय किसान नहर का उपयोग भूलकर उसमें खेतों से निकले खरपतवार फेंकते हैं। और नहर की किनारे रहे कुछ खेतों की सिचाई निजी नलकूपों से करने लगे तो कुछ में पानी के अभाव से गेहूं व चावल की खेती न कर उसमें चने अरहर की खेती करने लगे।
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क्या कहते हैं किसान
दो दशकों से नहर की सफाई नहीं कराई गई है। तो किसान नहर का उपयोग भूलकर उसमें खरपतवार फेंकने का स्थान बना लिया है। साथ क्षमता के हिसाब से सिचाई निजी नलकूपों से कर अपने हिसाब से फसलें लगाते हैं।
-अनिरुद्ध उपाध्याय, नूरपुर हाजीपुर
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नहर में दो दशकों से पानी नहीं आता जिसके चलते नहर से लगे खेती में किसानों पानी का अभाव रहता है। जिससे किसानों को गेहूं व चावल की खेती छोड़ कर कम पानी लागत वाली दलहन आदि की फसल बोने पर मजबूर हैं।
-रिकू शुक्ला, रसूलपुर ब्यूर
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रबी की फसलों की बुआई के बाद आउट सीजन में पानी छोड़ा जाता है। सफाई में खाना पूर्ति होने से नहर के पानी से कोई फायदा तो नहीं होता अपितु कई बीघा पानी में डूबने से नष्ट हो जाती है। मुआवजा तक नहीं मिलता है।
-सुरेश कुमार यादव, नूरपुर हाजीपुर
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बोले अधिकारी ..
विकास खंड नेवादा की अधिकतर नहरों की सिल्ट सफाई पिछले वर्ष सिल्ट सफाई कराई गई है। यदि छोटे रजबहों की सिल्ट सफाई नहीं हुई है और उनका क्षेत्रफल कम हो गया है। जांच कराकर सिल्ट सफाई कराकर में पानी की सप्लाई की जाएगी।
-जगदीश लाल, एक्सईएन, सिचाई खंड कौशांबी