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किसानों को मत्स्य पालन दे रहा दोहरी सौगात, रिसाइकिलिग एक्वा कल्चर सिस्टम से मिल रह दोहरा लाभ

मत्स्य पालन ने चायल तहसील के दो किसानों की हालत बदल दी है। एक तरफ मछली पालन से होने वाला लाभ तो वह ले रहे हैं। साथ ही मछली के स्क्रेटा युक्त पानी ने उनकी फसल भी बेहतर कर दी है। बिना खाद व अन्य किसी लागत के उनकी फसल अन्य किसानों की फसलों से बेहतर है। ऐसे में उनकी फसल की मांग भी बढ़ी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 09:44 PM (IST)
किसानों को मत्स्य पालन दे रहा दोहरी सौगात, रिसाइकिलिग एक्वा कल्चर सिस्टम से मिल रह दोहरा लाभ
किसानों को मत्स्य पालन दे रहा दोहरी सौगात, रिसाइकिलिग एक्वा कल्चर सिस्टम से मिल रह दोहरा लाभ

कौशांबी : मत्स्य पालन ने चायल तहसील के दो किसानों की हालत बदल दी है। एक तरफ मछली पालन से होने वाला लाभ तो वह ले रहे हैं। साथ ही मछली के स्क्रेटा युक्त पानी ने उनकी फसल भी बेहतर कर दी है। बिना खाद व अन्य किसी लागत के उनकी फसल अन्य किसानों की फसलों से बेहतर है। ऐसे में उनकी फसल की मांग भी बढ़ी है।

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चायल तहसील के चलौली निवासी सावित्री देवी व पिपरी निवासी किसान मिथलेश पाल ने मत्स्य विभाग से अनुदान लेकर मछली पालन शुरू किया। दोनों किसानों ने 50 लाख की लागत से रिसाइकिलिग एक्वा कल्चर सिस्टम अपनाते हुए मत्स्य पालन किया। इस विधि से मत्स्य पालन करने में हर 15 दिनों में उनको पक्के गड्ढे को खाली करना पड़ता है। ऊपर के पानी को यह रिसाइकिलिग करते हुए दोबारा तालाब में डाल देते थे, लेकिन गड्ढे के तलहटी में जमा स्क्रेटा युक्त पानी का प्रयाग फसलों में करने लगे। मिथलेश पाल की मानें तो उन्होंने धान की फसल में स्क्रेटा का प्रयोग किया तो उनका उत्पादन बेहतर रहा। वहीं मत्स्य पालन का काम देख रहे सवित्री देवी के पति रामलगन सिंह ने बताया कि वह मत्स्य पालन के साथ-साथ केले का भी उत्पादन करते हैं। मछलियों के स्क्रेटा (बीट) युक्त पानी को उन्होंने केले की फसल में प्रयोग किया। ऐसे में उनके केले का उत्पादन प्रभावित हुआ। उनका अन्य किसानों के केले से लंबाई में बेहतर है। साथ ही फलों में चमक है। इससे उनकी फसल की मांग बढ़ी है।

कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार सिंह का कहना है कि मत्स्य पालन के दौरान स्क्रेटा युक्त पानी का प्रयोग यदि फसल के लिए होता है तो उसमें हर तरह के पोषक तत्व होते हैं। जो फसल के लिए लाभकारी है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही उत्पादन बेहतर होता है। अगली फसल के लिए भी यह खेत दूसरे की अपेक्षा अच्छा उत्पादन देगा। मत्स्य विकास अधिकारी सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि मत्स्य विभाग लगातार किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। जिन किसानों को मत्स्य पालन में रुचि है। इन दिनों विभागीय पोर्टल खुला है। आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। विभाग उनकी हर तरह से मदद करेगा। हमारे किसान अपना उत्पादन बढ़ाएं। इसके लिए लगातार प्रयास हो रहा है।


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