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दोआबा की आबो हवा को प्रदूषित कर रहे ईटभट्ठे

जनपद में कई ईटभट्टे मानक को दर किनार कर संचालित किए जा रहे हैं। इसे विभागीय कृपा कहे या अवैध तरीका। ईटभट्टे की चिमनी से निकलने वाला धुआं जिले की आबोहवा में जहर घोल रहा है। कई स्थानों पर ईंट भट्ठों के संचालक भट्ठों को विस्तार देकर सरकारी जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं। शिकायत के बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:09 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 11:09 PM (IST)
दोआबा की आबो हवा को प्रदूषित कर रहे ईटभट्ठे
दोआबा की आबो हवा को प्रदूषित कर रहे ईटभट्ठे

जासं, कौशांबी : जनपद में कई ईटभट्टे मानक को दर किनार कर संचालित किए जा रहे हैं। इसे विभागीय कृपा कहे या अवैध तरीका। ईटभट्टे की चिमनी से निकलने वाला धुआं जिले की आबोहवा में जहर घोल रहा है। कई स्थानों पर ईंट भट्ठों के संचालक भट्ठों को विस्तार देकर सरकारी जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं। शिकायत के बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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विकास की रफ्तार के बीच पर्यावरण को नजर अंदाज कर दिया जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के साथ अन्य पहलुओं पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिले में 170 ईंट-भट्ठे पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें 50 से अधिक ऐसे भट्ठे हैं, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को नजरअंदाज कर संचालित हो रहे हैं। अधिकतर भट्ठा मालिक कोयले के बजाय लकड़ी से ईंट की पकाई कराते हैं। इससे धुआं अधिक निकलता है, जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। बस्ती में चलाए जा रहे ईटभट्टे

एनजीटी और राज्य सरकार की ओर से भी बिना एनओसी के भट्ठा संचालन पर रोक है। सबसे बुरी हालत ग्रामीण अंचलों में है जहां बस्तियों व शिक्षण संस्थानों के समीप भट्ठे हैं। संचालन से पहले जिला खनन विभाग से अनुज्ञप्ति लेने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन के लिए आधे दर्जन सरकारी विभाग से एनओसी लेने की अनिवार्य शर्ते हैं लेकिन अधिसंख्य भट्ठा संचालक बिना एनओसी लिए ही किया जा रहा है।

हरियाली पर भी संकट

चिमनियों से ईंधन का पूरा दहन नहीं हो पाता और बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड के रूप में धुआं उत्सर्जित होता है। एक लाख ईंट पकाने में 26 टन कोयला खर्च होता है। भट्ठों के प्रदूषण से खेती लायक जमीन बंजर हो जाती हैं। पर्यावरण के खतरे के साथ ही हरियाली का नुकसान पहुंचा है। फलदार पेड़ों में फल नही आते हैं और ऊंचाई वाले पेड़ो केला, आम के बाग आदि पर इसका खासा असर पड़ता है। मानक पूरा करने करने वाले को ही ईंट भट्ठा संचालन के लिए लाइसेंस दिया गया है। इसके बाद भी यदि कही पर कोई गड़बड़ी है तो जांच कराकर संबंधित भट्ठा संचालको को नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा। साथ ही कार्रवाई भी जाएगी।

अखिलेश्वर मल्य, अभियंता जिला पंचायत।


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