घंटा-घड़ियाल व जयकारों की गूंज से भक्तिमय माहौल
नवरात्र के पावन पर्व शंखनाद घंटा-घड़ियाल व जयकारों की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया है। इन दिनों भक्त मां की आराधना में लीन हैं। बुधवार की सुबह से ही पूजन के लिए भक्त मंदिरों और दुर्गा पंडालों में पहुंचे। भक्तों ने मां के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की। घंटा और घड़ियाल गूंज चोरो ओर रही है।
कौशांबी : नवरात्र के पावन पर्व शंखनाद, घंटा-घड़ियाल व जयकारों की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया है। इन दिनों भक्त मां की आराधना में लीन हैं। बुधवार की सुबह से ही पूजन के लिए भक्त मंदिरों और दुर्गा पंडालों में पहुंचे। भक्तों ने मां के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की। घंटा और घड़ियाल गूंज चोरो ओर रही है।
बुधवार सुबह से ही पूजन के लिए मंदिरों व पंडालों में लोग उमड़ पड़े। श्रद्धालुओं ने धूप, दीप व नैवेद्य के साथ विधि विधान से मां के पांचवें स्वरूप का पूजन किया। कड़ा धाम स्थित शीतला मां की चरणों में शीश नवाने के लिए भक्त घंटों लाइन में लगे रहे। मंझनपुर के दुर्गा मंदिर, बजहा के रामजानकी मंदिर, पश्चिमशरीरा की झारखंड़ी देवी, समेत कई मंदिरों में पूजन व आरती का कार्यक्रम सुबह से देर रात तक चलता रहा। मंझनपुर के कटरा नगर, नेहरू नगर, नेता नगर में सजाए गए दुर्गा पंडालों में शाम से कीर्तन भजन का कार्य चलता रहा है। महिलाओं ने देवी गीत गाया। साथ ही झांकियां भी निकाली गई।
जयकारों से गुंजायमान रहे पंडाल
मां भगवती के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना की। मां के दर्शन व पूजन के लिए सुबह से ही मंदिरों व दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। विधि-विधान से भक्तों ने मां का पूजन करके अपने को कृतार्थ किया। मंझनपुर, करारी, सरायअकिल, चायल, देवीगंज, ओसा, समदा आदि स्थानों पर सजाए गए दुर्गा पंडालों में भक्तों ने शाम के समय आरती किया। इसके बाद देर रात कीर्तन भजन का कार्यक्रम चला।
स्कंदमाता का पूजन कर भक्तों ने लिया आशीर्वाद
संसू, नारा : शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन गुरुवार को मां भगवती के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की गई। नारा क्षेत्र के बने दुर्गा पंडालों में विधि-विधान से श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पूजा कर आरती उतारी। साथ ही मां से आशीर्वाद लिया। सुबह से ही हो रही तेज बरसात के बाद भी भक्तों की आस्था कम नहीं हुई। कड़ा धाम में नवरात्र मेले के पांचवें दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। 51 शक्तिपीठ मां शीतला के दरबार में जाकर मत्था टेका और निशान चढ़ाया।